Supreme Court On Article 370: अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि विलय के बाद जम्मू-कश्मीर की संप्रभुता पूरी तरह से भारत को सौंपी गई थी. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने कहा कि हालांकि संविधान में सहमति के विभिन्न पहलू हैं, लेकिन कश्मीर के विधायी शक्ति पर प्रतिबंध लगाने से राज्यों पर भारत की संप्रभुता का प्रभुत्व कम नहीं हुआ है.
शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि संविधान के अनुच्छेद 1 में जम्मू-कश्मीर को शामिल करने का मतलब है कि संप्रभुता का हस्तांतरण बिना किसी सशर्त आत्मसमर्पण के पूरा हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि भारत राज्यों का संघ होगा, इसमें संप्रभुता के पूर्ण हस्तांतरण के साथ जम्मू और कश्मीर राज्य भी शामिल है.
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सीजे चंद्रचूड़ ने कहा कि एक बार जब जम्मू और कश्मीर की संप्रभुता निर्विवाद रूप से और पूरी तरह से भारत के प्रभुत्व में निहित हो गई, तो लागू होने वाला एकमात्र प्रतिबंध इसके संबंध में कानून बनाने की संसद की शक्ति पर होगा.
सुनवाई में शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि 1972 का आदेश किसी भी संदेह से परे यह स्पष्ट करता है कि जम्मू और कश्मीर की संप्रभुता विशेष रूप से भारत के साथ थी और इसलिए 26 अक्टूबर 1947 को हस्ताक्षरित विलय पत्र के बाद संप्रभुता का कोई अवशेष बरकरार नहीं रखा गया था. कोर्ट ने यह भी कहा कि यह कहना मुश्किल होगा कि अनुच्छेद 370 को कभी भी निरस्त नहीं किया जा सकता है और इसका स्थायी चरित्र है.
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