देश

वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर संयुक्त संसदीय समिति का गठन

भारत सरकार ने संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024  के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) का गठन किया है. इन विधेयकों का उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराने की प्रक्रिया को सुनिश्चित करना है.

JPC की संरचना और सदस्य

जेपीसी में कुल 31 सदस्य होंगे, जिनमें से 21 सदस्य लोकसभा से और 10 सदस्य राज्यसभा से शामिल होंगे. जेपीसी में लोकसभा से सत्तारूढ़ एनडीए के 14 सदस्य शामिल हैं. इसमें भाजपा के 10 और सहयोगी दलों के 4 सांसद हैं. इसके अलावा विपक्ष के 7 सदस्य शामिल हैं. राज्यसभा से इसमें 10 सदस्य होंगे. इनके नाम अभी घोषित नहीं किए गए हैं.

ये सांसद होंगे शामिल

जेपीसी में भाजपा से बांसुरी स्वराज, पीपी चौधरी, अनुराग ठाकुर, संबित पात्रा और विष्णु दत्त शर्मा होंगे, जबकि कांग्रेस से प्रियंका गांधी वाड्रा, मनीष तिवारी और सुखदेव भगत को शामिल किया गया है. इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी, समाजवादी पार्टी से धर्मेंद्र यादव, डीएमके से टीएम सेल्वागणपति और एनसीपी से सुप्रिया सुले इसका हिस्सा होंगे.

विधेयकों का उद्देश्य

1. संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024: यह विधेयक संविधान में आवश्यक संशोधन लाने का प्रयास करता है, ताकि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जा सकें.

2. संघ राज्य क्षेत्र कानून (संशोधन) विधेयक, 2024: इस विधेयक का उद्देश्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सुचारू बनाना है.

विपक्ष का कड़ा विरोध

इन विधेयकों को बीते 17 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया, जहां इसे 263-198 मतों के बाद स्वीकृति मिली. विपक्ष ने विधेयकों पर कड़ा विरोध जताया. उसका कहना है कि सरकार के पास संविधान संशोधन के लिए आवश्यक दो-तिहाई बहुमत नहीं है. विपक्ष के अनुसार, सरकार के पास आवश्यक 363 मत होने चाहिए, जबकि विपक्ष ने 198 मत जुटाए, जो इसे पराजित करने के लिए पर्याप्त है.

सरकार का पक्ष

अर्जुन राम मेघवाल ने विधेयकों को ‘देश के चुनावी खर्च को कम करने और सुशासन को बढ़ावा देने’ का प्रयास बताया. उन्होंने यह भी कहा कि जेपीसी इन विधेयकों पर गहराई से चर्चा करेगी. वन नेशन वन इलेक्शन पर जेपीसी की सिफारिशें और संसद में इसकी आगे की चर्चा इस प्रस्ताव की सफलता या असफलता का निर्धारण करेगी. यह देखना दिलचस्प होगा कि यह पहल भारत के संवैधानिक और चुनावी ढांचे को किस प्रकार प्रभावित करती है. इसकी व्यवहार्यता और प्रभाव को लेकर राजनीतिक दलों में गंभीर मतभेद हैं.

-भारत एक्सप्रेस

प्रशांत त्यागी, वरिष्ठ संवाददाता दिल्ली

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