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मनमोहन सिंह की ही तरह मेरे पिता की मौत पर भी होनी चाहिए थी CWC की मीटिंग: शर्मिष्ठा मुखर्जी

देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने देश के प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर पूर्व प्रधानमंत्री के अंतिम संस्कार स्थल पर स्मारक बनाने की मांग की. इस पर देश के पूर्व राष्ट्रपति और दिग्गज कांग्रेस नेता प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर कांग्रेस पार्टी पर आरोप लगाया कि जैसे मनोमहन सिंह की मौत पर सीडब्ल्यूसी की मीटिंग बुलाई गई, उस तरह से उनके पिता की मौत पर ऐसा कुछ नहीं किया गया. आईएएनएस से विशेष बातचीत में भी उन्‍होंने इसी बात को दोहराया.

शर्मिष्ठा मुखर्जी ने एक्स पर पोस्ट

“जब बाबा (प्रणब मुखर्जी) का निधन हुआ, तो कांग्रेस ने शोक सभा के लिए सीडब्ल्यूसी को बुलाने की भी जहमत नहीं उठाई. एक वरिष्ठ नेता ने मुझे बताया कि राष्ट्रपतियों के लिए ऐसा नहीं किया जाता. यह बिलकुल बकवास है क्योंकि मुझे बाद में बाबा की डायरी से पता चला कि केआर नारायणन की मृत्यु पर, सीडबल्यूसी को बुलाया गया था और शोक संदेश बाबा द्वारा ही तैयार किया गया था.”

इस मुद्दे पर उन्होंने आईएएनएस से खास बातचीत की.

सवाल: आपने जो एक्स पर पोस्ट किया, उसमें क्या कहना चाहती हैं?

जवाब: मैं डॉ. मनमोहन सिंह पर कोई विवाद नहीं करना चाहती. वह दो बार प्रधानमंत्री रहे. वह भारत में आर्थिक सुधार के आर्किटेक्ट हैं. उन्हें भारत रत्न दिया जाना चाहिए. लेकिन शुक्रवार को जब मैंने भाजपा प्रवक्ता सी.आर. केसवन का ट्वीट देखा और उससे पहले वह कांग्रेस से नाराज थे. उन्होंने ट्वीट किया कि कैसे पीवी नरसिम्हा राव जी जो कांग्रेस से पीएम थे और कांग्रेस अध्यक्ष भी थे, उनकी मौत के बाद उनके पार्थिव शरीर को एआईसीसी में रखने की अनुमति नहीं दी गई. उनका परिवार उनका अंतिम संस्कार दिल्ली में करना चाहता था. लेक‍िन उन्हें अनुमति नहीं दी गई. मेरे पिता भी इस बात से परेशान थे और उन्होंने अपनी डायरी में इस बात को लिखा. मेरे पिता का देहांत 2020 में हुआ. मैं कांग्रेस से अलग हो गई थी. मुझे उम्मीद थी कि सीडब्ल्यूसी की एक औपचारिक शोक बैठक होगी और एक औपचारिक शोक संदेश होना चाहिए, जो परंपरा रही है. लेकिन मैं यह भी कहना चाहती हूं कि सोनिया गांधी ने मुझे मेरे पिता की मौत पर शोक संदेश भेजा था. मेरे पिता पांच साल तक राष्ट्रपति रहे थे, इसलिए मुझे सीडब्‍ल्यूसी से एक औपचारिक संदेश की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. मैंने वरिष्ठ नेताओं से बात की, उन्होंने मुझे बताया कि वह राष्ट्रपति थे और यह राष्ट्रपति के लिए ऐसा नहीं किया जाता, क्योंकि वह अब किसी भी राजनीतिक पार्टी से जुड़े नहीं थे. लेकिन यह गलत था, क्योंकि जब मैंने उनकी डायरी देखी, तो मुझे पता चला कि किसी अन्य राष्ट्रपति के लिए एक शोक संदेश था. इसलिए मुझे बहुत बुरा लगा. क्योंकि इतने वरिष्ठ नेता के लिए भी कांग्रेस ने सीडब्ल्यूसी की बैठक नहीं बुलाई.

सवाल: मल्लिकार्जुन खड़गे के मनमोहन सिंह पर लिखे पत्र के बारे में आप क्या कहना चाहती हैं?

जवाब: मनमोहन सिंह के लिए एक स्मारक बनाया जाना चाहिए. वह इसके हकदार हैं. उन्हें भारत रत्न दिया जाना चाहिए. मेरे ट्वीट का इससे कोई लेना-देना नहीं है. मेरा ट्वीट केवल इस बात पर गहरा दुख व्यक्त करने के लिए था कि मेरे प‍िता की मौत पर सीडब्ल्यूसी ने कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया और कोई औपचारिक शोक सभा आयोजित नहीं की. यही मेरा दुख है. इसका स्मारक से कोई लेना-देना नहीं है.

सवाल: क्या आपको लगता है कि कांग्रेस राजनीति कर रही है?

जवाब: मुझे लगता है कि आपको कांग्रेस से यह कहना चाहिए कि मेरे पिता की मौत पर सोनिया गांधी मेरे लिए शोक संदेश लिखा था. लेकिन, व्यक्तिगत शोक और किसी भी राजनीतिक पार्टी या संस्थान की ओर से व्‍यक्‍त शोक संवेदना में अंतर होता है. मैं यह बात दोहराना चाहती हूं कि मेरे पिता पांच साल तक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे और 45 साल तक वह कांग्रेस के नेता रहे. वह 30 साल तक सीडब्‍ल्यूसी से जुड़े रहे. उस स्थिति में वह सीडबल्यूसी द्वारा औपचारिक शोक संवेदना के पात्र थे. वह कोविड काल का समय था. इसलिए कांग्रेस के लिए इन पर्सन मीटिंग करना संभव नहीं था, लेकिन वह ज़ूम मीटिंग कर सकते थे. मुझे इस बात से बहुत दुख हुआ.

सवाल: क्‍या कांग्रेस पार्टी द्वारा राजनीति हो रही है?

जवाब: मुझे लगता है कि यह सवाल कांग्रेस से पूछा जाना चाहिए. मैं अब कांग्रेस या किसी राजनीतिक पार्टी से जुड़ी नहीं हूं. इसलिए मैं बोल सकती हूं. उन्होंने पीवी नरसिम्हा राव के शव को एआईसीसी में क्यों नहीं आने दिया, उन्होंने प्रणब मुखर्जी की मृत्यु के बाद कोई औपचारिक श्रद्धांजलि सभा क्यों नहीं की.

सवाल: क्या आपको लगता है कि कांग्रेस ने मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री के रूप में शासन करने की स्वतंत्रता दी?

जवाब: अपने पिता की डायरी पढ़ने के बाद मैंने अपनी किताब में बहुत कुछ लिखा है. मुझे लगा कि यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शासन में हस्तक्षेप नहीं किया. लेकिन हां, मंत्री पद पर नियुक्ति, राज्यपाल की नियुक्ति के मामले में वह सर्वोच्च अधिकारी थीं. लेकिन मेरे पिता की डायरी से मुझे कभी नहीं पता चला कि सोनिया गांधी शासन में हस्तक्षेप करती थीं.

सवाल: क्या आपको लगता है कि गांधी परिवार ने मनमोहन सिंह और प्रणब मुखर्जी के साथ अच्छा व्यवहार किया है?

जवाब: हां, मेरे पिता को पार्टी में रहने के दौरान बहुत सम्मान मिला. उन्हें सभी सदस्यों से सम्मान मिला. इसलिए इस सीडब्ल्यूसी शोक सभा के बारे में मुझे वास्तव में नहीं पता कि यह जानबूझकर किया गया था या यह संस्थागत स्मृति की कमी के कारण था.

सवाल: क्या प्रणब मुखर्जी ने कभी आपसे कहा है कि यूपीए सरकार का नेतृत्व सोनिया गांधी कर रही हैं?

जवाब: नहीं, माफ कीजिए, सोनिया गांधी ने कभी यूपीए सरकार का नेतृत्व नहीं किया. सरकार का नेतृत्व डॉ. मनमोहन सिंह कर रहे थे. मुझे ऐसा कोई आभास नहीं हुआ कि वह सरकार में हस्तक्षेप कर रही हैं.


ये भी पढ़ें- शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कांग्रेस के डबल स्टैंडर्ड पर उठाए सवाल, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की अनदेखी पर मांगा जवाब


-भारत एक्सप्रेस

आईएएनएस

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