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जम्मू-कश्मीर में नेशनल बुक ट्रस्ट का चिनार पुस्तक महोत्सव: बच्चों को किताबों से कराया कश्मीरी कला-संस्कृति और परंपराओं का दर्शन, ऐसा सजा मंच

Chinar Book Fair In Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर में ‘लोकल’ से ‘ग्लोबल’ तक कश्मीरी परंपरा व संस्कृति कश्मीर के युवा डिजिटल युग में किस तरह घाटी की कला, संस्कृति, परंपरा को आगे बढ़ाएँ और किस तरह संचार में इसका बेहतर तरीके से उपयोग कर सकें, इसके लिए रविवार को चिनार पुस्तक महोत्सव में युवाओं के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसमें ब्रांडिंग एंड सोशल मीडिया एक्सपर्ट शोभा कपूर और प्रसिद्ध लोकनृत्य कलाकार मधु नटराज ने घाटी के युवाओं को प्रेरित किया कि वे डिजिटल या सोशल मीडिया को अपने जीवन में ज्यादा से ज्यादा अपनाएँ और घाटी की समृद्ध संस्कृति को देश-दुनिया में कोने-कोने तक पहुँचाएँ.

शोभा कपूर ने सोशल मीडिया की रील्स के प्रभाव पर युवाओं से बात की. उन्होंने बताया कि रील बनाते समय महत्वपूर्ण यह है कि जरूरी बातों को शुरुआत के पांच-छह सेकंड में बता दिया जाए ताकि दर्शक उससे जुड़ सकेंगे. युवाओं के अंदर जो नये-नये विचार आते हैं, उन्हें सही तरीके से सोशल मीडिया के उपयोग से ही लॉकल से ग्लोबल तक ले जाया जा सकता है. मधु नटराज ने युवाओं को अपने भीतर छिपी प्रतिभा को ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर लाकर दुनियाभर से जुड़ने के लिए प्रेरित किया.

चिनार पुस्तक महोत्सव में मौजूद अतिथि-गण

कश्मीर का काव्य भारतीय परंपरा का वाहक

रविवार को डल झील के किनारे आयोजित चिनार पुस्तक महोत्सव में काव्यशास्त्र पर कश्मीर के प्रभाव पर बात की गई. कश्मीरी, उर्दू और हिंदी भाषा के जाने-माने लेखक और साहित्य अकादमी सम्मान से सम्मानित डॉ. सतीश निगम ने कहा, ”भारत में अलग-अलग भाषाओं में लिखे साहित्य का विकास हुआ है, जिनकी अलग-अलग रूह है. पाठक महादेवी को पढ़ें या लालेश्वरी को पढ़ें, उनकी बातें एक समान ही लगेंगी.”

“कश्मीर की सूफी कविता की भारत के साहित्य पर गहरी छाप है. उसमें धार्मिक आस्था तो है ही, लेकिन वह उससे ऊपर उठकर एक ऐसे स्तर पर बात करती है कि जहाँ हमें लगता है कि हिंदुस्तान की हजारों साल की तपस्या का फल मिला हुआ है.”

चिनार पुस्तक महोत्सव में मौजूद अतिथि-गण

उन्होंने भारत की ज्ञान परंपरा पर बात करते हुए कहा कि भारत की ज्ञान परंपरा हजारों वर्ष की रही है, जिसमें काव्यशास्त्र, नाट्यशास्त्र, समाजशास्त्र पर बात हुई है और दर्शन की कितनी अद्भुत चीजें कश्मीर ने दुनिया को दी हैं और वे सारी चीजें हमारे जीवन में घुम-मिल गई हैं.

चिनार पुस्तक महोत्सव

चर्चा में शामिल केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय की प्रोफेसर संगीता गुंदेचा ने कश्मीर के काव्यशास्त्र को भारत ही नहीं, दुनियाभर की कविताओं का मूल बताया. उन्होंने कहा, ”कश्मीर को ज्ञान का पालना कहा जाता है. भामाह, कुंतक, अभिनव गुप्त की बात किए बिना कहीं भी काव्यशास्त्र को पढ़ाया नहीं जा सकता. कश्मीर एक बहुत बड़ी परंपरा का वाहक है. यहाँ के काव्यशास्त्र ने पूरी दुनिया के काव्य को प्रभावित किया है। यहाँ का काव्यशास्त्र बहुत ही समृद्ध है.”

चिनार पुस्तक महोत्सव

चिनार पुस्तक महोत्सव की शाम गजलों और सूफी गीतों से गूँज उठी. एक तरफ जहाँ कला-ए-कश्मीर में कश्मीरी लोकगायक वाहिद जिलानी की टीम ने कश्मीर की लोक संस्कृति को लोकगीतों और लोकनृत्य के जरिये प्रदर्शित किया, वहीं मशहूर गायक मेहरान शाह के कश्मीरी, डोगरी, पहाड़ी, पंजाबी और हिंदी सूफी गीत और गजलों का भी युवाओं ने खूब लुत्फ उठाया.

चिनार पुस्तक महोत्सव में मौजूद कश्मीरी बच्चे और महिलाएं

कश्मीरी लोकगीत और लोकनृत्य का प्रदर्शन

चिनार पुस्तक महोत्सव का पहला रविवार बच्चों के लिए बहुत खास रहा. एक तरफ जहाँ बीएचएसएस, हजरतबल के बच्चों ने रोणी दामान लोकगीत गाकर बच्चों में उत्साह पैदा किया, वहीं हाई स्कूल, हबल से आए बच्चों के समूह ने कश्मीर की पारंपरिक वेशभूषा पहनकर लोकनृत्य रोफ का प्रदर्शन किया. सुबह से ही एसकेआईसीसी में लगे इस पुस्तक मेले के हर स्टॉल पर बच्चों की भीड़ दिखी. यहाँ हर आयु वर्ग के बच्चों के लिए, उनकी मातृभाषा और मनपसंद विषय की किताबें हैं और प्रसिद्ध लेखकों से मिलने और बात करने का अवसर भी उनके पास है. रविवार को पुस्तक मेले में डोगरी भाषा के प्रसिद्ध लेखक शिवदेव सिंह ने बच्चों को मातृभाषा के महत्व के बारे में बताया और उन्हें डोगरी से हिंदी में अनूदित अपनी दो कहानियाँ सुनाईं. कैलिग्राफर मलिक मुख्तार से बच्चों ने कैलिग्राफी आर्ट के गुन सीखे.

चिनार पुस्तक महोत्सव उर्दू साहित्य के लिहाज से भी सबसे बड़ा पुस्तक मेला है. यहाँ 90 से अधिक उर्दू किताबों के स्टॉल हैं, जहाँ रविवार को पाठकों की खूब भीड़ उमड़ी. बच्चों के लिए राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद की ओर से महफिल ए अफसाना सत्र का आयोजन किया गया था, जिसमें मशहूर उर्दू लेखक दीपक तंवल ने तीन बाल कहानियाँ सुनाईं, जिसमें कश्मीरी कला, संस्कृति और परंपरा को दर्शाया गया था. इसके साथ-साथ डॉ. मुश्ताक मेहदी और डॉ. नजीर ने भी अपनी कहानियाँ सुनाईं.

सोमवार को होने वाले कार्यक्रम

सोमवार को बच्चे चिनार पुस्तक महोत्सव में कश्मीरी भाषा में कहानी सुन सकेंगे, पोट्रेट आर्ट वर्कशॉप और स्लोगन लेखन प्रतियोगिता में भाग ले सकेंगे. युवाओं के लिए मानसिक स्वास्थ्य पर वर्कशॉप होगी, ‘आधुनिक नेतृत्व पद्धतियों में प्राचीन ज्ञान’ विषय पर फिल्म डायरेक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी से चर्चा होगी और साथ ही युवा ‘पर्यटन, पुस्तकें और जीवन’ विषय पर मशहूर कवि और यायावर व साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित डॉ. राजेश कुमार व्यास, कंकना लोहिया से बात करेंगे.

सांस्कृतिक कार्यक्रमों में जम्मू और कश्मीर अकादमी की तरफ से रंग—ए—चिनार, कलर्स ऑफ भारत की टीम की तरफ से भारत के विविध लोकनृत्यों का प्रदर्शन किया जाएगा और कश्मीरी कलाकार कश्मीरी लोक संस्कृति की छटा बिखेरेंगे.

— भारत एक्सप्रेस

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