UP News: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर स्थित दारुल उलूम देवबंद इन दिनों अंग्रेजी पढ़ने पर रोक लगाने को लेकर चर्चा में है और विवादों में भी घिर गया है. वहीं अब इसके फैसले का विरोध राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने भी किया है और आपत्ति जताई है. इतना ही नहीं, सहारनपुर जिलाधिकारी के माध्यम से स्पष्टीकरण भी मांगा गया है.
बता दें कि हाल ही में शिक्षण संस्थान की दारुल उलूम देवबंद सहारनपुर में पढ़ने वाले छात्रों के अंग्रेजी और अन्य आधुनिक विषयों की कोचिंग लेने पर रोक लगा दी गई थी. जिसके बाद से प्रदेश में राजनीति गरमा गई है. भाजपा विधायकों और नेताओं ने पहले ही जमकर संस्थान के इस फैसले का विरोध किया है तो वहीं शिक्षण संस्थान के इस फैसले पर कई सवाल भी खड़े किए हैं. हालांकि संस्थान की तरफ से ये भी सफाई सामने आई है कि छात्रों को संस्थान में ही हर विषय को पढ़ाने की व्यवस्था की गई है. बाहर में कोचिंग लेने पर पाबंदी लगाई गई है.
वहीं, इन तमाम विवादों के बीच राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने भी इस मामले में आपत्ति दर्ज कराई है और इसे बच्चों के अधिकारों के खिलाफ माना गया है. इसी के साथ NCPCR ने सहारनपुर डीएम के माध्यम से संस्थान से स्पष्टीकरण भी मांगा है. इससे पहले अल्पसंख्यक आयोग ने भी दारुल उलूम से इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगा है.
बता दें कि तीन दिन पहले दारुल उलूम ने संस्था के छात्रों को आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि संस्था में पढ़ाई करने के दौरान छात्र अंग्रेजी या अन्य आधुनिक विषयों की पढ़ाई बाहर जाकर नहीं कर सकेंगे. अगर कोई ऐसा करता पाया जाता है तो संबंधित छात्र को संस्थान से निष्कासित कर दिया जाएगा. इस सम्बंध में एक लेटर भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था.
फिलहाल अब इस पूरे मामले को एनसीपीसीआर ने संज्ञान में ले लिया है तो इससे कुछ उम्मीद छात्रों के में जगी है. तो वहीं, अंग्रेजी और अन्य आधुनिक विषयों पर रोक लगाने के लेकर दारुल उलूम के मोहतमिम मुफ्ती अब्दुल कासिम नोमानी का एक बयान सामने आया है, जिसमें कहा गया है कि संस्था, अंग्रेजी या किसी अन्य भाषा के विरोध नहीं करती है. संस्था में बकायदा अंग्रेजी और कंप्यूटर आदि का अलग से विभाग है. उन्होंने ये भी सफाई दी है कि प्रबंधन ने संस्था के हॉस्टल में रहने वाले छात्रों पर बाहर से अंग्रेजी में कोचिंग लेने पर या फिर किसी कारोबार से जुड़ने समेत अन्य बाहरी गतिविधियों पर पाबंदी लगाई है. ताकि छात्र अपना पूरा समय उस पाठ्यक्रम को दें, जिसके लिए उन्होंने संस्थान में दाखिला लिया है.
-भारत एक्सप्रेस
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