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राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम का पालन नहीं करने वाले मदरसों को बंद करने की सिफारिश की थी.

NCPCR के चेयरपर्सन ने सुझाव दिया गया है कि सभी गैर-मुस्लिम बच्चों को मदरसों से बाहर निकालकर स्कूलों में दाखिल कराया जाए, जबकि मुस्लिम समुदाय के बच्चों को, चाहे वे मान्यता प्राप्त हों या न हों, औपचारिक स्कूलों में दाखिल करा दिया जाए.

मध्य प्रदेश सरकार ने कहा है कि मदरसे और मदरसा बोर्ड के अंतर्गत आने वाले स्कूल, जिन्हें राज्य से धन प्राप्त होता है, वे बच्चों को ‘तालीमी शिक्षा’ का हिस्सा बनने के लिए बाध्य नहीं कर सकते.

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा कि आयोग ने देश की सभी राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि संविधान के अनुरूप मदरसों के हिंदू बच्चों को बुनियादी शिक्षा का अधिकार मिले, इसलिए उन्हें स्कूल में भर्ती करें.

Saharanpur: हाल ही में दारुल उलूम देवबंद में पढ़ने वाले छात्रों के अंग्रेजी और अन्य आधुनिक विषयों की कोचिंग लेने पर रोक लगा दी है. इस मामले में संस्थान ने सफाई भी दी है, लेकिन विवाद नहीं थम रहा है.