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पेट्रोल-डीजल को GST में लाने का रोड़ा बनी कांग्रेस, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पार्टी पर बोला बड़ा हमला

Petrol Diesel GST: जीएसटी आने से देश की टैक्स प्रणाली काफी सरल हो रही है. हालांकि पेट्रोल डीजल जीएसटी से बाहर है और लगातार यह मांग उठती रही है कि पेट्रोल-डीजल को भी जीएसटी में लाया जाए. इसको लेकर एक बार फिर सवाल पूछा गया तो केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस की ही मुश्किलें बढ़ा दी हैं. वित्त मंत्री ने कहा कि इस काम में सबसे बड़ा रोड़ा कांग्रेस ही है. वित्त मंत्री ने कहा कि प्रशासनिक और राजनीतिक तौर पर कांग्रेस पार्टी दोहरी नीति अपना रही है, जिसके चलते पेट्रोल डीजल जीएसटी में नहीं आ पा रहे हैं.

दरअसल, वित्त मंत्री नर्मला सीतारमण ने कांग्रेस पर यह हमला चुनावी राज्य मध्य प्रदेश के इंदौर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बोला. वित्त मंत्री ने कहा है कि केंद्र की बीजेपी सरकार पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में लाना चाहती है लेकिन कांग्रेस इस विषय पर ‘दोगला रवैया’ अपना रही है. वित्त मंत्री ने कहा कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के मामले में ‘दोगला रवैया’ रखने वाली कांग्रेस से मीडिया को इस बारे में सवाल करना चाहिए.

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कांग्रेस पर क्या बोला हमला?

वित्त मंत्री ने कहा कि उनकी सरकार शुरुआत से ही पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के पक्ष में है क्योंकि इस कदम से जनता को फायदा होगा, लेकिन इस विषय में फैसले का अधिकार जीएसटी कांउसिल के पास है और उसमें कांग्रेस के राज्यों के सदस्य भी है, जो कि इस मुद्दे पर लगातार विरोध के सुर छेड़ते रहे हैं.

क्या है टैक्स का ये पूरा खेल?

आपको बता दें फिलहाल केंद्र सरकार पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी वसूलती है. इसके अलावा राज्य सरकार इसी में अपना वैट भी लेती है. इसे उदाहरण से समझें तो दिल्ली में पेट्रोल अगर 96.72 रुपये प्रति लीटर में मिल रहा है तो उसमें 19.90 रुपये प्रति लीटर केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी वसूलती है जबकि 15.71 रुपये राज्य सरकार वैट वसूलती है. यानि कीमत में 35.61 रुपये टैक्स का भार है. उसी प्रकार डीजल की दिल्ली में कीमत 89.62 रुपये प्रति लीटर है तो 15.80 रुपये प्रति लीटर उसमें केंद्र सरकार द्वारा वसूलने जाने वाला एक्साइज ड्यूटी है तो राज्य सरकार 13.11 रुपये प्रति लीटर वैट वसूलती है.

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अगर यह टैक्स स्लैब 28 फीसदी पर भी आएगा तो भी पेट्रोल डीजल के मामले में बड़ी कटौती हो सकती है. इसके बावजूद यह होना मुश्किल होता जा रहा है.

-भारत एक्सप्रेस

कृष्णा बाजपेई

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