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भारत में जातिगत जनगणना की मांग दशकों पुरानी है. इसका मकसद अलग-अलग जातियों की संख्या के आधार पर उन्हें सरकारी नौकरी में आरक्षण देना और ज़रूरतमंदों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना बताया जाता है. चुनावी साल को दिखते हुए जातिगत जनगणना की मांग पर कांग्रेस और धार देने वाली है. यूपी कांग्रेस लखनऊ में इसी महीने प्रदेश स्तरीय ओबीसी सम्मेलन करवाने की तैयारी में है. बीते कुछ समय में ओबीसी वाटर निर्णायक भूमिका में रहे हैं.
ज्यादातर ओबीसी वोटरों की नुमाइंदगी क्षेत्रीय दल कर रहे हैं, इसके अलावा भाजपा के पास भी अच्छा ओबीसी वोट बैंक है. यही वजह है कि कांग्रेस भी अपने वोट बैंक में ओबीसी वोटरों को जोड़ना चाहती है. अगर कांग्रेस ऐसा कर सकी तो भाजपा के पाले में गए ओबीसी वोटो की संख्या में कमी का अनुमान लगाया जा सकता है. जातीय जनगणना एक ऐसा मुद्दा है जिसके सहारे ओबीसी समाज को एकजुट किया जा सकता है. ओबीसी समाज के वोटो की नुमाइंदगी करने वाले क्षेत्रीय दलों और ओबीसी समाज के लोगों की मांग साफ है कि जातिगत जनगणना होनी चाहिए. राज्य की सरकारें इसे केंद्र सरकार का मसला बताते हुए पल्ला झाड़ रही है, जबकि केंद्र का रुख सामान्य जनगणना पर ही है.
वहीं विपक्ष सामाजिक न्याय के नाम पर साल 2024 के चुनावों में जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाकर बीजेपी पर दबाव बनाने और दलित, पिछड़े वोट को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहा है. माना जाता है कि बीजेपी को इस तरह की जनगणना से डर यह है कि इससे अगड़ी जातियों के उसके वोटर नाराज़ हो सकते हैं. इसके अलावा बीजेपी का परंपरागत हिन्दू वोट बैंक इससे बिखर सकता है, इसलिए जातिगत जनगणना पर पहली बार कांग्रेस ने अपना स्टैंड साफ किया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने साफ तौर पर ओबीसी समाज की भागीदारी को बढ़ाने के लिए जातिगत जनगणना को जरूरी बताया था. इसी के बाद से ही उत्तर प्रदेश कांग्रेस इस दिशा में काम कर रही है. पहले उत्तरप्रदेश के सभी 18 मंडलों में ओबीसी सम्मेलन करवाए गए. जिनमें जातिगत जनगणना की जरूरत को ओबीसी समाज के लोगों से साझा किया गया, कांग्रेस ने साफ किया कि वह जातिगत जनगणना के पक्ष में है, अब मंडलों के बाद जिला स्तर पर सम्मेलन जारी है.
इसी बीच कांग्रेस ने साफ किया है कि लखनऊ में एक बड़ा ओबीसी सम्मेलन करवाया जाएगा, इसी को लेकर मंथन जारी है, सूत्रों के मुताबिक इस महीने के तीसरे या चौथे सप्ताह में सम्मेलन हो सकता है,कांग्रेस का मकसद ओबीसी वर्ग को अपने साथ जोड़ना है, इसलिए इस सम्मेलन में ओबीसी समाज की भागीदारी बढ़ाने की बात की जाएगी, जातिगत जनगणना की मांग को और धार देने की भी तैयारी है, सूत्रों के मुताबिक इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान, गांधी सभागार या डॉ राम मनोहर लोहिया विधि विवि में से किसी एक जगह पर आयोजन करवाने का विचार किया जा रहा है.
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