उत्तराखंड के हल्द्वानी के बनभूलपुरा में रेलवे की 29 एकड़ जमीन को कब्जे के मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो लोग वहां रह रहे हैं, वो भी इंसान हैं. वे दशकों से रह रहे हैं. अदालतें निर्दयी नहीं हो सकती. कोर्ट ने कहा कि अदालतों को संतुलन बनाए रखने की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है.
कोर्ट ने सरकार से कहा है कि प्रभावित लोगों के पुनर्वास के बारे में एक माह में बताए. कोर्ट 11 सितंबर को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच मामले में सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव, केंद्र सरकार के अधिकारी और रेलवे के अधिकारी मीटिंग कर, ये योजना बनाए कि आखिर लोगों का पुनर्वास किस तरह से होगा.
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि रेलवे ने अब तक कोई कार्रवाई नही की है. अगर आप लोगों को बेदखल करना चाहते हैं तो नोटिस जारी करे. जनहित याचिका के साथ क्यों? इसका इस्तेमाल नही किया जा सकता है. वही रेलवे की तरफ से कहा गया कि वो वंदे भारत ट्रेन वहां चलाना चाहते हैं. इसको लेकर प्लेटफार्म को बढ़ाने की जरूरत है.
दरअसल केंद्र सरकार द्वारा 2023 में पारित अंतरिम आदेश में संशोधन के लिए दायर किया गया था, क्योंकि विवाद में भूमि के एक हिस्से में रेलवे ट्रैक और हल्द्वानी रेलवे स्टेशन की सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पूरे मामले में पुनर्वास के लिए विकल्प तलाशने की जरूरत है. फॉरेस्ट एरिया को छोड़कर किसी दूसरे लैंड को लेकर विकल्प को तलाशने की जरूरत है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा इस मामले में जल्द करवाई की जरूरत है. 4365 घर है, वहां पर 50 हजार लोग रह रहे है.
-भारत एक्सप्रेस
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