इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक द्वारा हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में दायर याचिका का सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने विरोध किया है. उन्होंने कहा कि नाइक की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से लिखित जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है, साथ ही जाकिर नाइक के वकील से पूछा है कि क्या उनके मुवक्किल याचिका वापस लेना चाहते हैं. इस मामले की अगली सुनवाई 23 अक्टूबर को होगी.
महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा कि जाकिर नाइक देश छोड़कर भाग चुके हैं और वह भारतीय कानून का पालन नहीं करते हैं. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या वह अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दाखिल कर सकते हैं.
साल 2013 में भगवान गणेश पर आपत्तिजनक टिप्पणी के चलते कई राज्यों में नाइक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी, जो अब तक जारी है. उस समय कोर्ट ने महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, कर्नाटक और ओडिशा की सरकारों को नोटिस जारी करते हुए 8 सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था.
जाकिर नाइक के खिलाफ 2012 में सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी, जिनमें धारा 153A (धर्म, जाति, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाना) और धारा 295 (किसी धर्म का अपमान करने के इरादे से पूजा स्थल को नुकसान पहुंचाना) शामिल थीं.
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हिंदू जनजागृति समिति और सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडलों ने नाइक के खिलाफ मुंबई, पुणे और पनवेल के पुलिस थानों में शिकायत दर्ज कराई थी. नाइक पर आरोप है कि उन्होंने फेसबुक और यूट्यूब के जरिये हिंदुओं को चुनौती दी थी कि वे गणेश को भगवान साबित करके दिखाएं. इसके अलावा, उन पर कई बार धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप भी लग चुके हैं.
जाकिर नाइक पर न केवल हिंदू देवी-देवताओं का, बल्कि ईसाईयों के ईसा मसीह और सिखों के गुरु नानक का भी अपमान करने का आरोप है. नाइक इस्लाम की कट्टरपंथी वहाबी विचारधारा का प्रचार-प्रसार करते हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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