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नंबर न होने के बावजूद मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव क्यों लेकर आई कांग्रेस?

No Confidence Motion: मणिपुर हिंसा (Manipur Violence) मामले को लेकर संसद के मानसून सत्र में जमकर हंगामा हो रहा है. संसद के मानसून सत्र की शुरूआत के साथ ही सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि वह मणिपुर के मामले पर चर्चा के लिए तैयार है. हालांकि विपक्ष इस बात पर अड़ा है कि पीएम मोदी ने सत्र की शुरूआत से पहले सदन के बाहर मणिपुर में महिलाओं के साथ हैवानियत के मामले पर दो टूक बयान दिया, लेकिन उन्होंने अभी तक सदन में मणिपुर मामले पर जवाब नहीं दिया है. विपक्ष की मांग है कि पीएम मोदी सदन में मणिपुर मामले पर जवाब दें. वहीं गृह मंत्री अमित शाह व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस मुद्दे पर चर्चा की बात कह चुके हैं लेकिन विपक्ष इस पर तैयार नहीं है. इन सबके बीच बुधवार को कांग्रेस ने लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया. कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने लोकसभा में यह नोटिस दिया.

लोकसभा में बीजेपी के पास 301 सांसद हैं और एनडीए के पास 333 की संख्या है, जबकि विपक्ष के पास 142 की संख्या है और सबसे ज्यादा कांग्रेस के पास 50 सांसद हैं. ऐसे में संख्या के आधार पर इस अविश्वास प्रस्ताव से मोदी सरकार पर कोई खतरा नजर नहीं आता है. वहीं सवाल ये उठता है कि नंबर न होने के बावजूद कांग्रेस मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव क्यों लाना चाहती है? ऐसे में इस अविश्वास प्रस्ताव के राजनीतिक मायने क्या हो सकते हैं, इसको समझने की जरूरत है.

विपक्षी एकता दिखाने का मौका

पटना के बाद विपक्षी दलों की दूसरी बैठक बेंगलुरु में हुई थी जहां 26 विपक्षी दलों ने मिलकर एनडीए के खिलाफ लोकसभा चुनाव में उतरने पर सहमति जताई थी और इन दलों ने मिलकर I.N.D.I.A. (Indian, National, Democratic, Inclusive, Alliance) नामक नए गठबंधन का ऐलान किया था. इसमें कांग्रेस भी शामिल है. इस तरह से नए गठबंधन के अस्तित्व में आने के बाद संसद का ये पहला सत्र है जहां उन्हें सरकार के खिलाफ अपनी एकजुटता दिखाने का मौका मिला है. इस अविश्वास प्रस्ताव के जरिए विपक्ष सरकार को अपने द्वारा उठाए गए मुद्दों पर जवाब देने के लिए मजबूर करने की कोशिश करता नजर आ रहा है. इस कोशिश में अगर विपक्ष कामयाब रहता है तो विपक्षी दलों के लिए यह ‘बूस्टर डोज’ की तरह साबित हो सकता है.

पीएम मोदी की ‘चुप्पी’ को भुनाने की कोशिश

विपक्ष इस वक्त मणिपुर हिंसा के मामले को जोर-शोर से उठा रहा है और इस मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहा है. विपक्षी दलों की मांग है कि पीएम मोदी इस मुद्दे पर सदन में जवाब दें. हालांकि गृह मंत्री और रक्षा मंत्री के इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार रहने की बात पर भी विपक्ष मानने को तैयार नहीं है. विपक्ष का स्पष्ट कहना है कि इतने ज्वलनशील मुद्दे पर पीएम मोदी क्यों चुप हैं और वे सदन में आकर जवाब क्यों नहीं देते हैं. ऐसे में विपक्ष द्वारा लाए अविश्वास प्रस्ताव पर पीएम मोदी जवाब देते हैं तो इंडिया अलायंस इसे भुनाने की पूरी कोशिश करेगा. इंडिया अलायंस इसे विपक्षी एकता की जीत बता सकता है.

सरकार के खिलाफ नैरेटिव सेट करने की कोशिश

लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सरगर्मी बढ़ी हुई है. पीएम मोदी के नेतृत्व में एनडीए ने अपना विस्तार किया है और गठबंधन का दावा है कि इसमें अब 38 छोटे-बड़े दल शामिल हैं. वहीं विपक्ष के 26 दलों के नए गठबंधन ‘इंडिया’ ने मानसून सत्र में मोदी सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की है. अविश्वास प्रस्ताव को भी सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश में अगली कड़ी के तौर पर देखा जा रहा है ताकि विपक्षी गठबंधन लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए के खिलाफ एक माहौल बनाने की कोशिश करे.

मुद्दा चाहें मणिपुर का हो या फिर बीजेपी सांसद बृज भूषण शरण सिंह पर पहलवानों द्वारा लगाए गए आरोपों का… अधिकांश विपक्षी दलों ने इस पर खुलकर बीजेपी को घेरा है और आगामी चुनाव से पहले एक नैरेटिव सेट करने की कोशिश की है कि यह सरकार महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े मामले को लेकर सरकार गंभीर नहीं है. विपक्ष अपनी इस कोशिश में कितना कामयाब होगा, ये तो अभी कहा नहीं जा सकता है लेकिन इतना तय है कि आने वाले समय में देश में सियासी गहमा-गहमी बनी रहेगी.

-भारत एक्सप्रेस

कमल तिवारी

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