सुप्रीम कोर्ट ने PFI से जुड़े 8 सदस्यों की जमानत को रद्द करते हुए कहा की राष्ट्र सर्वोपरि है.एनआईए ने 23 अक्टूबर 2023 को मद्रास हाइकोर्ट से PFI से जुड़े 8 सदस्यों को मिली जमानत को रद्द करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली अवकाशकालीन पीठ ने मद्रास हाइकोर्ट के जमानत देने के आदेश को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा-अपराध की गंभीरता और अधिकतम सज़ा के तहत जेल में बिताए गए सिर्फ 1.5 साल को ध्यान में रखते हुए हम जमानत देने के हाइकोर्ट के आदेश में दखल दे रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि राष्ट्रीय सुरक्षा हमेशा सर्वोपरि है और कोई भी आतंकवादी कृत्य हिंसक या अहिंसक प्रतिबंधित किया जा सकता है. कोर्ट ने यह भी कहा कि अदालतें व्यक्तिगत स्वतंत्रता देने वाले आदेशों में हस्तक्षेप कर सकती हैं यदि वह सही नहीं हो. ऐसे में अपील स्वीकार की जाती हैं. सुनवाई में तेजी लाने और इस आदेश का कोई मतलब न निकाला जाए, इसमें गुण-दोष के आधार पर कुछ नहीं कहा गया है.
बतादें कि पीएफआई के आठ पदाधिकारियों, सदस्यों और कार्यकर्ताओं के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि अधिनियम ने तहत मामला दर्ज किया गया था. एनआईए ने दावा किया था कि पीएफआई चरमपंथी संगठन है और इसका गठन खतरनाक मंशा के लिए किया गया है। इसका उद्देश्य विजन इंडिया 2047 के तहत भारत में शरिया कानून लागू कर मुस्लिम शासन की स्थापना करना है। याचिका में कहा गया था कि याचिकाकर्ता भारत संघ (एनआईए) मद्रास हाईकोर्ट की ओर से दिए गए अंतरिम आदेश के खिलाफ मौजूदा विशेष अनुमति याचिका दायर करने के लिए बाध्य है.
-भारत एक्सप्रेस
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