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Ayodhya Ram Mandir: पीएम मोदी द्वारा प्राण प्रतिष्ठा सनातन धर्म की प्रक्रिया के खिलाफ…शंकराचार्यों को भी है आपत्ति; कोर्ट में दायर हुई PIL

PILRamlala Pran Pratishtha: अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होने जा रही है. इसको लेकर तैयारी भी पूरी कर ली गई है तो वहीं प्राण-प्रतिष्ठा की विधि भी शुरू कर दी गई है, लेकिन इसी बीच बड़ी खबर सामने आ रही है. इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर कार्यक्रम में रोक लगाने की मांग की गई. कहा गया है कि पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा रामलला की प्राण प्रतिष्ठा सनातन धर्म की प्रक्रिया के खिलाफ है. इसी के साथ ही याचिका में ये भी कहा गया है कि शंकराचार्य विरोध में हैं. पूस में धार्मिक कार्य नहीं होते.

खबर सामने आ रही है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर पीएम मोदी द्वारा अयोध्या में निर्माणाधीन मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पर रोक लगाने की मांग की गई है. इसी के साथ ही याचिका में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर शंकराचार्यों द्वारा उठाई गई आपत्तियों का भी हवाला दिया गया है. इसी के साथ ही जिस तरह से प्राण-प्रतिष्ठा हो रही है, उस पर सवाल खड़े करते हुए उसे सनातन परंपरा के खिलाफ बताया गया है. इसी के साथ ये भी कहा गया है कि भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव का लाभ उठाने के लिए यह कर रही है. याचिका पर तुरंत सुनवाई की मांग की गई है. यह याचिका गाजियाबाद के भोला दास की ओर से दाखिल की गई है, जिसमें कहा गया है कि अयोध्या में 22 जनवरी को धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होने जा रहा है.

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याचिका में बताए गए कई आधार

जनहित याचिका में याची ने प्राण-प्रतिष्ठा रोकने के लिए कई आधार बताए हैं और कहा है कि अयोध्या में निर्माणाधीन मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी. यह प्राण प्रतिष्ठा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा की जाएगी और इसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हो रहे हैं, जो कि गलत है. याची ने ये भी कहा है कि यह प्राण प्रतिष्ठा गलत है, क्योंकि सनातन धर्म के अगुवा शंकराचार्यों की ओर से इस पर आपत्ति उठाई गई है. दूसरा, पूस महीने में कोई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाते हैं. 25 जनवरी को पूर्णिमा है.

पूर्णिमा तक नहीं होते धार्मिक कार्यक्रम

याचिका में आगे कहा गया है कि पूर्णिमा तक कोई धार्मिक आयोजन नहीं होते हैं. तीसरा, मंदिर अभी निर्माणाधीन है. अपूर्ण मंदिर में किसी भी देवी-देवता की प्राण-प्रतिष्ठा नहीं हो सकती है. देवी-देवताओं की प्राण-प्रतिष्ठा पूर्ण मंदिर में होती है. इसी के साथ ही ये भी कहा गया है कि, पीएम और सीएम योगी का इस प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होना संविधान के खिलाफ है क्योंकि देश का संविधान भाईचारे को बढ़ावा देने वाला है. इसी के साथ ही याचिका में ये भी कहा गया है कि, पीएम और सीएम के ऐसे कार्यक्रमों में शामिल होने से देश के भाईचारे की भावना को झटका लगेगा, जो कि सही नहीं है. तो वहीं इस सम्बंध में याची अधिवक्ता अनिल कुमार बिंद ने बयान देते हुए कहा कि पीएम मोदी के कार्यक्रम पर रोक लगाने वाली जनहित याचिका मंगलवार को दाखिल हो गई है. कोशिश की जाएगी कि उस पर हाईकोर्ट जल्दी सुनवाई कर याचिका स्वीकार कर ले.


हाईकोर्ट ने किया इंकार

दूसरी ओर खबर सामने आ रही है कि, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव की ओर से जारी उस शासनादेश को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है, जिसमें 22 जनवरी 2024 को प्रदेश के सभी मंदिरों में भजन-कीर्तन करने, रामचरित मानस का पाठ करने, सभी शहरों में रथ/कलश यात्रा निकालने का शासनादेश जारी किया गया है. खबरों के मुताबिक, हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई सूचीबद्ध होने पर ही करेगा. बताया जा रहा है कि यह जनहित याचिका ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन (एआईएलयू), उत्तर प्रदेश के राज्य अध्यक्ष अधिवक्ता नरोत्तम शुक्ल की ओर से दाखिल की गई है. तो वहीं खबर सामने आई है कि, याचिका में कुल चार लोगों को पक्षकार बनाया गया है. कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता के समक्ष याचिका पर अविलंब सुनवाई के लिए प्रार्थना की गई, लेकिन कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति की कोर्ट ने इसे अर्जेंट (अति आवश्यक) नहीं मानते हुए सुनवाई से मना कर दिया है.

याचिका में कही गई है ये बात

तो वहीं याचिका में मुख्य सचिव के शासनादेश को भारतीय संविधान के धर्म निरपेक्ष चरित्र व अनुच्छेद 25, 26 और 27 के खिलाफ माना गया है और कहा गया है कि इसके अनुसार राज्य को किसी भी धार्मिक गतिविधि, आयोजन से निरपेक्ष रहने की अपेक्षा संविधान में की गई है. याचिका में कहा गया है कि, उत्तर प्रदेश मुख्य सचिव ने इस संबंध में दिनांक 21 दिसंबर 2023 को शासनादेश जारी किया है, जिसमें यूपी के सभी जिलाधिकारियों को 22 जनवरी को भजन-कीर्तन, रामायाण, रामचरित मानस पाठ, रथ और कलश यात्रा निकालने को कहा गया है. याचिका में ये भी कहा गया कि, इसके लिए गांव, ब्लॉक, जिला और शहरों में आंगनबाड़ी, आशा बहुओं, एएनएम आदि कर्मचारियों का सहयोग लेने, कथावाचकों, कीर्तन मंडलियों को जिला सांस्कृतिक कौंसिल द्वारा भुगतान करने (इस हेतु राजकोष से अलग से 590 लाख रुपये जारी किए गए) को कहा गया है. याची ने ये भी कहा कि, शासनादेश में यह सब अयोध्या में भगवान रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में ऐसा करने को कहा गया है.

-भारत एक्सप्रेस

Archana Sharma

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