Kuno National Park: मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में लगातार हो रही चीतों की मौत पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा किया है और कहा है कि इस घटना से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि खराब हो रही है. उन्होंने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल पर ट्वीट करते हुए भाजपा सरकार को घेरा है और कहा है कि कूनो नेशनल पार्क में 9वें चीते की मौत का ज़िम्मेदार कौन है? उन्होंने कहा, ” वो सब कहां हैं जो इस इवेंट को भाजपा-सरकार की शक्ति का प्रतीक मानकर प्रचार-प्रसार में जुटे थे.” उन्होंने ये भी कहा कि इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि ख़राब हो रही है क्योंकि जहां से ये चीते आये थे उन देशों में इनके मरने की चर्चा है.”
बता दें कि 2 अगस्त को कूनो नेशनल पार्क में एक और चीते की मौत हो गई थी. मार्च से अब तक 9 चीतों की मौत हो चुकी है और 2 अगस्त को 9वें चीते की मौत के बाद लोग भाजपा सरकार पर ही निशाना साध रहे हैं. बता दें कि 2 अगस्त को मादा चीता धात्री सुबह मृत पाई गई थी. वहीं इस घटना के बाद से सपा प्रमुख अखिलेश यादव लगातार भाजपा सरकार पर निशाना साध रहे हैं. आठवें चीते की मौत पर भी उन्होंने भाजपा को सवालों के घेरे में खड़ा किया था. इसी के साथ अखिलेश यादव ने आरोप लगाया था कि चीतों का राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन के बाद कोई ख्याल नहीं रखा गया. वहीं नवें चीते की मौत के बाद भी उन्होंने भाजपा सरकार पर सवाल खड़े किए हैं.
मालूम हो कि चीता प्रोजेक्ट के तहत नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से दो चरणों में 20 चीतों को कूनो नेशनल पार्क लाया गया था और उनकी बेहतर देखभाल के लिए बंदोबस्त किया गया था. चीतों का पहला जत्था पिछले साल सितंबर और दूसरा जत्था इस साल फरवरी में भारत लाया गया था. सूत्रों की मानें तो 27 मार्च को नामीबिया से आई मादा चीता साशा की मौत हुई थी और इसकी वजह किडनी में संक्रमण बताया गया था.
अब तक नौ मौतें
बता दें कि लगातार किसी न किसी वजह से चीतों की मौत की खबर सामने आई और फिर जुलाई में नर चीते सूरज की भी मौत हो गई थी, इसके बाद मौत के आंकड़े बढ़कर आठ हो गए थे. वहीं अब नौंवे चीते की मौत के बाद देखा जा रहा है कि मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. नौंवे चीते की मौत को लेकर प्रधान मुख्य वन संरक्षक असीम श्रीवास्तव ने मीडिया को जारी किए बयान में कहा है कि मौत की वजह का पता लगाने के लिए पोस्टमार्टम कराया जा रहा है.
उन्होंने आगे बताया कि, देश में जंगली प्रजाति विलुप्त हो रही थी. इसी की वजह से 70 साल बाद चीतों को फिर से भारत लाया गया था. उन्होंने आगे बताया है कि, चीता परियोजना के तहत आठ नामीबियाई चीतों में पांच मादा और तीन नर चीते लाए गए थे, जिनको पिछले साल केएनपी के बाड़ों में छोड़ा गया था और जो 12 चीते दक्षिण अफ्रीका से फरवरी में लाए गए थे, उनको कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया था. सभी की देखभाल के लिए अच्छे बंदोबस्त किए गए थे.
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