सामाजिक कार्यकर्ता (Social worker) तीस्ता सीतलवाड़ (Teesta Setalvad) को सुप्रीम कोर्ट ने विदेश जाने की अनुमति मिल गई है. कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ को अंतरराष्ट्रीय डाक्यूमेंट्री फिल्म महोत्सव के लिए एम्स्टर्डम जाने की अनुमति दे दी है. तीस्ता सीतलवाड़ को उनकी डाक्यूमेंट्री साइकिलमहेश के आगामी विश्व प्रीमियर के लिए एम्स्टर्डम की यात्रा करने की अनुमति दी है.
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के. वी विश्नाथन की पीठ ने सीतलवाड़ को 14 नवंबर से 24 नवंबर तक एम्स्टर्डम जाने की अनुमति दी है. मामले की सुनवाई के दौरान सीतलवाड़ की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि उनकी मुवक्किल ने विदेश यात्रा पर जाने की अनुमति दी है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2023 में नियमित जमानत देने के साथ सत्र न्यायाधीश में पासपोर्ट जमा कराने को कहा था.
वही गुजरात सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीतलवाड़ की अर्जी का विरोध नही किया. कोर्ट ने विदेश जाने की अनुमति देते हुए कहा कि सीतलवाड़ को विदेश जाने की अनुमति के दौरान जो शर्ते पहले लगाई गई थी. वह शर्ते इसपर भी लागू रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त महीने में मलेशिया की यात्रा के दौरान शर्ते लगाई थी. इससे पहले कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ को 31 अगस्त से 10 सितंबर तक मलेशिया के सेलंगोर की यात्रा करने की अनुमति दे दी थी.
इस यात्रा का उद्देश्य नस्लवाद विरोधी सम्मेलन में भाग लेना है. कोर्ट ने सीतलवाड़ को 10 लाख रुपये की सिक्योरिटी मनी जमा करने का आदेश दिया था. साथ ही कोर्ट ने कहा था कि यात्रा के दौरान लगाई गई शर्तो का उल्लंघन नही करेंगी. कोर्ट ने कहा था कि सीतलवाड़ उक्त अवधि के बाद वापस आ जाएंगी. साथ ही कोर्ट ने कहा था कि सीतलवाड़ मलेशिया से वापस आने के बाद अपना पासपोर्ट जमा करेंगी. बता दें कि गुजरात दंगा केस में फर्जी हलफनामा दाखिल करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट से तीस्ता सीतलवाड़ को नियमित जमानत मिली हुई है.
1 जुलाई 2023 को हाई कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत रद्द कर समर्पण करने के लिए कहा था. गौरतलब है कि अहमदाबाद डिटेक्शन ऑफ क्राइम ब्रांच द्वारा एक एफआईआर के आधार पर गुजरात पुलिस ने उन्हें 25 जून, 2022 को गिरफ्तार किया था. उनके खिलाफ आरोपों में 2002 के गुजरात दंगों के सिलसिले में निर्दोष व्यक्तियों मो झूठा फंसाने की साजिश रची थी.
अहमदाबाद की एक सत्र अदालत ने 30 जुलाई 2022 को तीस्ता सीतलवाड़ और श्री कुमार की जमानत याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि उनकी रिहाई से गलत काम करने वालों के लिए यह संदेश जाएगा कि कोई व्यक्ति आरोप लगा सकता है और दंड से बच सकता है. तीस्ता सीतलवाड़ ने गुजरात दंगों में बड़ी साजिश का आरोप लगाया था. उन्होंने मामले में एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट को जाकिया जाफरी के साथ चुनौती दी थी.
एसआईटी की रिपोर्ट में गुजरात के आला अधिकारियों और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई लोगों को क्लीन चिट दी गई थी. जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा था कि इस मामले को जानबूझकर खींचा गया.
-भारत एक्सप्रेस
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