आध्यात्मिक सद्गुरु जग्गी वासुदेव को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन (Isha Foundation) के खिलाफ हाई कोर्ट (High Court) में चल रही कार्रवाई को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी साफ कर दिया है कि इस फैसले का असर बाकी केसों पर नही पड़ेगा. कोर्ट ने कहा कि मद्रास हाई कोर्ट के लिए इस तरह के जांच का आदेश देना अनुचित है. मामले में कोर्ट ने कहा कि पिता की याचिका लंबित है, क्योंकि दोनों लड़कियां बालिग है और वो अपनी मर्जी से आश्रम में रह रहीं हैं.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने यह फैसला दिया है. साथ ही कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) के खिलाफ चल रही कार्रवाई को बंद कर दिया है. क्योंकि दोनों महिलाओं ने कहा कि वे बिना किसी दबाव के वहां रह रही है.
माता-पिता दोनों ने दायर की थी याचिका
CJI ने कहा कि महिलाओं की माँ ने 8 साल पहले बंदी प्रत्यक्षीकरण (habeas corpus)के तहत याचिका दायर की थी. उसके बाद पिता ने याचिका दायर की थी. जिसके बाद Madras Highcourt ने पुलिस को जांच का आदेश दिया था. तमिलनाडु पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में Satus रिपोर्ट दायर कर कहा था कि पिछले कुछ वर्षों में ईशा योग केंद्र से संबंधित कुछ लापता व्यक्तियों की शिकायतें और आत्महत्याओं के केस दर्ज किए गए हैं. पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा था कि चल रहे बंदी प्रत्यक्षीकरण मामले में शिकायतकर्ता बाकी दोनों बेटियां अपनी इच्छा के अनुसार केंद्र में रह रही है.
तमिलनाडु पुलिस की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया था कि पिछले 15 वर्षों में अलंदुराई पुलिस स्टेशन, जिसके अधिकार क्षेत्र में ईशा फाउंडेशन भी आता है, ने 6 गुमशुदगी के मामले दर्ज किए हैं जिनमें से 5 को हटा दिया गया था और छठे की जांच चल रही है. क्योंकि लापता व्यक्ति का पता नहीं चला.
सुप्रीम कोर्ट ने केस को मद्रास हाईकोर्ट से अपने पास ट्रांसफर किया था
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ पुलिस जांच के मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दिया था. कोर्ट ने मामले को मद्रास हाईकोर्ट से अपने पास ट्रांसफर कर लिया था. कोर्ट ने पुलिस से स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने दोनों महिलाओं से बातचीत की थी. जिन्होंने कोर्ट को बताया था कि वे अपनी मर्जी से आश्रम में रह रही है और उन्हें कोई भी जबरन रोक नही रहा है. कोर्ट ने कहा था कि महिलाओं ने स्पष्ट किया है कि आश्रम में उनके रहने में कोई जोर-जबरदस्ती या मजबूरी शामिल नही थी और वे किसी भी समय जाने के लिए स्वतंत्र है.
सीजेआई ने कहा था कि आप सेना या पुलिस को ऐसी जगह दाखिल होने की इजाजत नही दे सकते हैं. फाउंडेशन पर एक रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने आरोप लगाया है कि उनकी दो बेटियों को जबरन आश्रम में रखा गया है.
इस मामले में मद्रास हाईकोर्ट के निर्देश के बाद पुलिस आरोपों की जांच कर रही थी. कोयंबटूर के रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने शिकायत की है कि उनकी दो बेटियों को कोयंबटूर के ईशा योग केंद्र में रहने के लिए गुमराह किया गया और फाउंडेशन ने उन्हें अपने परिवार के साथ कोई संपर्क नही बनाने दिया. मामले की सुनवाई के बाद सदगुरू जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों का विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था.
मद्रास हाईकोर्ट ने Isha Foundation को लगाई थी फटकार
मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में Isha Foundation को फटकार लगाई थी और पूछा था कि वह महिलाओं को मोह माया से दूर बैरागियों की तरह रहने के लिए प्रेरित क्यों करते हैं, जबकि खुद उनकी बेटी शादीशुदा है. हालांकि फाउंडेशन (Isha Foundation) ने सफाई देते हुए कहा है कि हम किसी से शादी करने या भिक्षु बनने के लिए नहीं कहते है. यह एक व्यक्तिगत पसंद है.
-भारत एक्सप्रेस
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