दो साल या उससे अधिक समय से अनिश्चिकाल के लिए जेल में बंद रोहिंग्या मुसलमानों को रिहा करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है.
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कोर्ट से कहा कि यह पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं के ना होने और उनके द्वारा सामना की जाने वाली अन्य कठिनाइयों के बारे में है. याचिका में दो मौतों का भी रिकॉर्ड है, एक जम्मू में जो एक सप्ताह का नाबालिग था और एक दिल्ली स्थित रोहिंग्या था. हमें मौतों को भी दर्ज करने की आवश्यकता है. यह याचिका अधिवक्ता उज्जयिनी चटर्जी की ओर से दायर की गई है.
इस याचिका में कानून द्वारा स्थापित प्रक्रियाओं का उल्लंघन करके भारत में शरण चाहने वालों युवाओं, महिलाओं और बच्चों सहित शरणार्थियों की अनिश्चिकालीन हिरासत को चुनौती दी गई है. याचिका में दो साल से अधिक समय से बंद रोहिंग्या बंदियों को रिहा करने का निर्देश देने की मांग की गई है. इसके अलाव इसमें देश भर में अनिश्चित काल तक हिरासत में रखे गए सभी रोहिंग्याओं के नाम, लिंग और उम्र के साथ-साथ उनके हिरासत आदेशों, निर्वासन के संबंध में म्यांमार के दूतावास के साथ अंतिम संचार, व्यक्तिगत डेटा, मूल्यांकन फॉर्म से संबंधित जानकारी मांगी है.
याचिका में मानक संचालन प्रक्रिया 2019 के मुताबिक तीन महीने के भीतर हिरासत में लिए गए रोहिंग्याओ के शरणार्थी स्थित का दावा करने या रोहिंग्याओं को दीर्घकालिक वीजा देने या उनके तीसरे देश में पुनर्वास की व्यवस्था करने का भी अनुरोध किया गया है.
— भारत एक्सप्रेस
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