रिज इलाकों में रोक के बाद पेड़ो की कटाई किए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में डीडीए के खिलाफ चल रही अवमानना की कार्यवाही से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पेड़ों की कटाई के निर्देश देने पर उपराज्यपाल पर सवाल उठाते हुए कहा कि आपको इस बात का जवाब देना होगा कि पेड़ कैसे काटे गए. कोर्ट ने अवैध पेडों की कटाई के मामले में डीडीए के अध्यक्ष से 22 अक्टूबर तक हलफनामा देने को कहा है.
कोर्ट डीडीए के अध्यक्ष से पूछा है कि सड़क चौड़ीकरण के लिए दक्षिण रिज क्षेत्र में करीब 1100 पेडों को काटने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है. साथ ही 3 फरवरी की साइट विजिट के दौरान क्या हुआ था. क्या पेड़ों को काटने के संबंध में चर्चा की कोई जानकारी थी. कोर्ट ने पूछा कि एलजी की कब सूचित किया गया है सुप्रीम कोर्ट की अनुमति की आवश्यकता है.
कोर्ट 22 अक्टूबर को मामले में अगली सुनवाई करेगा. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ मामले में सुनवाई कर रही है. सीजेआई ने कहा कि हम डीडीए के अध्यक्ष (उपराज्यपाल) से व्यक्तिगत हलफनामा दायर करने को कहेंगे. हलफनामे में उपराज्यपाल को बताना होगा कि क्या पेड़ो को काटने की अनुमति के संबंध में चर्चा की कोई जानकारी थी. कोर्ट ने पूछा कि उपराज्यपाल को कब सूचित किया गया है अनुमति की आवश्यकता है.
क्या कदम उठाए गए उपचारात्मक उपायों के रूप में लिया गया था. रिज की प्राचीन प्रकृति को संरक्षित करने के आदेश के बाद से दोषी अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई? सीजेआई ने कहा कि अगर उपराज्यपाल को सुप्रीम कोर्ट में मामलों की स्थिति के बारे में सलाह दी गई होती तो वो इस तरह के आदेश नही देते. वहीं याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि कार्यकारी अभियंता की ओर से डीडीए में अपने सहयोगियों को भेजे गए 3 ईमेल है, जिसमें उपराज्यपाल के निर्देश पर पेड़ काटा गया.
डीडीए से यह बताने को कहा गया है कि वास्तव में इसे किसने भेजा था, यह बताया गया कि ईमेल हैक कर लिया गया था. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि डीडीए के 15 मई के हलफनामे में कहा गया है कि परियोजना सड़क चौड़ीकरण के लिए बनाई जाएगी, अदालत ने बहाली के निर्देश दिए. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि दिल्ली के रिज क्षेत्र में पेड़ो की कटाई के बाद अब लकड़ी कहां गई? इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने ठेकेदार से हलफनामा दाखिल करने को कहा था.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए दिल्ली के मुख्य सचिव से पूछा था कि वी हलफनामे के जरिये बताये कि 2 फरवरी को दिल्ली के उपराज्यपाल ने साइट का दौरा किया था या नही. हालांकि हलफनामे में यह भी कहा गया है कि पेड़ो के काटने से संबंधित आदेश एलजी ने नही दिया था. हलफनामा में यह भी बताया गया है कि उपराज्यपाल के दौरे के दौरान दक्षिण रिज में पेड़ों की कटाई के लिए सुप्रीम कोर्ट की अनुमति लेने के बारे में बताया नहीं गया था.
बता दें कि कोर्ट दिल्ली के सतबरी में पेड़ो की अवैध कटाई के लिए उपराज्यपाल वीके सक्सेना की अध्यक्षता वाले दिल्ली विकास प्राधिकरण के खिलाफ अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रहा है. कोर्ट ने 12 जुलाई को मुख्य सचिव से पूछा था कि उस इलाके में निर्माण साइट पर उपराज्यपाल के दौरे के बाद क्या हुआ था. कोर्ट ने सवाल के जवाब में मुख्य सचिव ने यह भी कहा है कि साइट पर मौजूद किसी भी अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गए आदेशों और वन अधिकारियों की अनुमति लेने से संबधित जानकारी के बारे में उपराज्यपाल को नहीं बताया था. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने पेड़ों को अवैध रूप से हटाने पर लगातार एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने पर फटकार लगाई थी.
बता दें कि दिल्ली की रहने वाली बिंदु कपूरिया द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. अवमानना याचिका में आरोप लगाया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के अनुमति के बिना रिज में लगभग 1100 पेड़ काट दिए गए. यह एमसी मेहता मामले में मई 1996 में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है. लिहाजा दोषी अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट के अवमानना चलाया जाए. छत्रपुर से सार्क विश्वविद्यालय और मैदान गढ़ी और सतबरी इलाकों में अन्य प्रतिष्ठानों तक 10 किलोमीटर लंबी सड़को के निर्माण का काम चल रहा है, जिसके चलते 1100 पेडों को काट दिया गया.
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-भारत एक्सप्रेस
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