सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर फैसला देते हुए कहा है कि अगर कोई शख्स किसी एक मामले में हिरासत में है तो वो दूसरे मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत याचिका दायर कर सकता है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि किसी एक केस में कस्टडी में होने से उसका किसी दूसरे केस में गिरफ्तारी से संरक्षण हासिल करने का अधिकार छिन नहीं जाता. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत और हाई कोर्ट ऐसी सूरत में आरोपी की अग्रिम जमानत अर्जी पर सुनवाई कर फैसला कर सकता है.
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने यह फैसला दिया है. न्यायमूर्ति पारदीवाला ने पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए कहा कि एक आरोपी तब तक अग्रिम जमानत पाने का हकदार है, जब तक उसे उस अपराध के संबंध में गिरफ्तार नही किया गया है और यदि उसे उस मामले में भी गिरफ्तार किया गया है तो नियमित जमानत के लिए आवेदन करना ही एक मात्र उपाय है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला धनराज असवानी नामक एक व्यक्ति की ओर से साल 2023 में दायर किया गया था, जिसमें यह सवाल उठाया गया था. कोर्ट ने कहा ऐसा कोई स्पष्ट य अंतर्निहित प्रतिबंध नहीं है जो किसी आरोपी को किसी अन्य अपराध के संबंध में हिरासत में होने पर अग्रिम जमानत देने के लिए सत्र या हाई कोर्ट को रोकता है.
-भारत एक्सप्रेस
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