UP Nikay Chunav 2023: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की हॉट सीट मानी जाने वाली मेयर की कुर्सी पर बैठने के लिए भाजपा का टिकट हासिल करने के लिए एक-दो नहीं बल्कि कई बड़े नाम लगे थे, लेकिन सुषमा खर्कवाल (Sushma Kharkwal) ने सबको पछाड़ते हुए अपनी दावेदारी पुख्ता कर ली. सुषमा ने लखनऊ के पांच ऐसे बड़े नामों को पछाड़ा है जिसकी उम्मीद ही नहीं थी.
मेयर पद के लिए कहीं से भी उनका नाम सामने दिखाई नहीं पड़ रहा था. मीडिया से लेकर आम लोगों में भी आरएसएस की पहली पसंद मानी जाने वाली वर्तमान मेयर संयुक्ता भाटिया के साथ ही डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक की पत्नी नमृता पाठक, विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल होने वाली सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव, विधायक डा. नीरज बोरा की पत्नी बिंदू बोरा के साथ ही लखनऊ के बड़े उद्योगपति बीबीडी ग्रुप के चेयरपर्सन अलका दास गुप्ता के नामों की चर्चा थी. इन नामों में से अलका दास का नाम तय माना जा रहा था, लेकिन सुषमा ने सबको पीछे छोड़ते हुए मेयर पद के लिए टिकट हासिल कर सभी को चौंका दिया है.
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अगर राजनीतिक जानकारों की मानें तो सुषमा का नाम 13 अप्रैल को स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक शुरू होने से एक दिन पहले चर्चा में आया था. कमेटी की बैठक में प्रभारी मंत्री सुरेश खन्ना के आवास पर लखनऊ के विधायक, सांसद, भाजपा महानगर अध्यक्ष व महामंत्री जुटे थे. इस बैठक में ही मेयर पद के लिए नामों को सुझाया गया था. बताया जा रहा है कि सपा से ब्राह्मण चेहरे को आगे करने की वजह से महानगर अध्यक्ष ने तर्क देते हुए ब्राह्मण चेहरे को ही आगे करने के नाम पर सलाह दी थी. वहीं एक महानगर महामंत्री ने सुषमा खर्कवाल के नाम की सलाह दी थी.
बताया जा रहा है कि दोनो महामंत्री रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के करीबी माने जाते हैं. इसीलिए स्क्रीनिंग कमेटी में रक्षामंत्री की पसंद को ही आगे किया गया. वहीं दो विधायकों ने बिंदू बोरा को टिकट देने की पैरवी की व संयुक्ता भाटिया समेत 26 नाम रखे. इसके बाद किसी कार्यकर्ता को टिकट देने की बात रखी गई. लंबे मंथन के बाद स्क्रीनिंग कमेटी में कुल 6 नाम बचे. इस पर किसी की भी सहमति न बनते देखकर प्रभारी मंत्री ने हाथ उठवाकर वोटिंक करवाई तो पांच वोट सुषमा के पक्ष में पड़ गए, जबकि चार बिंदू के पक्ष में गए. इसके बाद तीन नाम गोमतीनगर में रहने वाले एक केंद्रीय नेता के बेटे की सहमति के लिए भेजे गए. इस पर वहां से हरी झंडी मिलते ही इस सूची को दिल्ली भेज दिया गया था.
बता दें कि सुषमा को टिकट ब्राह्मण होने की वजह से ही मिला. वह उत्तराखंड की ब्राह्मण हैं. उनके पति प्रेम खर्कवाल सेना में रहे हैं. हालांकि उनको मेयर का टिकट मिलने पर पार्टी के कई कार्यकर्ता ये भी सवाल उठा रहे हैं कि पिछली बार वह पार्षद का चुनाव हार गई थीं. इसके बाद भला उनको टिकट कैसे फाइनल कर दिया गया? पर कोई उनके उत्तराखंड कनेक्शन तो कोई सैनिक प्रकोष्ठ होने की वजह बता रहा है. अगर सूत्रों की मानें तो सुषमा आर्मी वेलफेयर हाउसिंग आर्गेनाइजेशन सोसायटी की संयुक्त सचिव भी हैं. वहीं ये भी जानकारी सामने आ रही है कि नोएडा के विधायक व रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के पुत्र पंकज सिंह की पत्नी भी उत्तराखंड की है. हालांकि पार्टी सूत्र बताते हैं कि भाजपा लोकसभा चुनाव में सुषमा के चेहरे को आगे कर पहाड़ी के साथ ही ब्राह्मण और सैनिक मतदाताओं का वोट पार्टी अपने पक्ष में लाने की कोशिश करेगी. यानी एक तीर से पार्टी तीन निशाने साध रही है.
सुषमा खर्कवाल उत्तराखंड की रहने वाली हैं और 30 साल से भाजपा में जुड़ी हैं. भारतीय पर्वतीय महासभा भारत की राष्ट्रीय प्रभारी होने के साथ ही वह अवध क्षेत्र भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष भी हैं. वह महिला मोर्चा की प्रदेश मंत्री भी रह चुकी हैं. साथ ही ये भी जानकारी सामने आ रही है कि खाद्य रसद सलाहकार बोर्ड, सैनिक कल्याण बोर्ड, भारत संचार निगम लिमिटेड की सदस्य और आर्मी वेलफेयर सोसायटी की संयुक्त सचिव भी रही हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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