Curfew In Manipur: मणिपुर की राजधानी इंफाल में कई जगहों पर आगजनी की खबरों के बाद कर्फ्यू फिर से लगा दिया गया है और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सेना बुलाई गई है. इंफाल के न्यू चेकॉन इलाके में मैतई और कुकी समुदाय के बीच आज सोमवार की दोपहर मारपीट हुई. देखते हीं देखते इस झगड़े ने भीषण रूप ले लिया.
बता दें कि मणिपुर में करीब 3 हफ्ते पहले भी इन दोनों समुदायों के बीच भयंकर हिंसा भड़की थी. उस समय अफवाहों और गलत सूचना के प्रसार को रोकने के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई थी. जिससे राज्य के लोगों को कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. लेकिन इसने हिंसा में काफी लगाम लगाई. उस दौरान राज्य के लोग ना तो ऑनलाइन माध्यम से पैसे भेज पा रहे थे, ना ही अन्य जरूरी डिजिटल प्लेटफार्म का उपयोग कर पा रहे थे.
मणिपुर की लगभग 38 लाख की आबादी में से आधे से ज्यादा मैतेई समुदाय के लोग हैं मणिपुर के लगभग 10% क्षेत्रफल में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल है. मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि मैतेई समुदाय की डिमांड पर विचार करें और 4 महीने के भीतर केंद्र को रिकमेंडेशन भेजें इसी आदेश के बाद मैतेई को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर 3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन (एटीएसयू) मणिपुर ने एक रैली निकाली जिसने बाद में हिंसा का रूप ले लिया.
हिंसा शुरू होने के बाद से मेइती और कुकी समुदायों के बीच हुई झड़पों में 70 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. वहीं राज्य में आवश्यक वस्तुओं को लाने वाले ट्रकों की विशेष सुरक्षा के बीच आवाजाही जारी है. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यहां किसी भी प्रकार की जरूरी सामान की कोई कमी ना हो और लोग भूख और प्यास से परेशान ना हो.
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दरअसल मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल करने की मांग का विरोध करने के लिए छात्रों के एक संगठन की तरफ से बुलाए गए आदिवासी एकता मार्च में हिंसा भड़क गई थी. इस दौरान चुराचांदपुर में तनाव के बीच भीड़ ने घरों में तोड़फोड़ की. रिपोर्ट के मुताबिक रैली में हजारों आंदलोनकारियों ने हिस्सा लिया था और इस दौरान तोरबंग इलाके में आदिवासियों और गैर आदिवासियों के बीच हिंसा शुरू हो गई.
मुख्यमंत्री ने फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर, विशेष रूप से राज्य के बाहर रहने वाले व्यक्तियों द्वारा नफरत भरे संदेशों के प्रसार पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने जोर देकर कहा कि भीड़ की हिंसा का सहारा लेने से अंतर्निहित मुद्दों का समाधान नहीं होगा और जनता से शिकायतों को दूर करने के लिए कानूनी और औपचारिक साधनों की तलाश करने का आग्रह किया.
भारत एक्सप्रेस
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