Nithari Case: 2005-2006 के नोएडा निठारी कांड के मुख्य संदिग्ध मनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में सीबीआई के तरीके पर गंभीर सवाल उठाए. जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति सैयद आफताब हुसैन रिजवी की पीठ ने हत्याओं के पीछे अंग व्यापार की वास्तविक वजह होने की प्रबल संभावना को ‘पूरी तरह से नजरअंदाज’ करने के लिए भी सीबीआई की खिंचाई की. अदालत ने कहा कि जांच में नियमों का उल्लंघन किया गया. यह भी माना गया कि अभियोजन पक्ष “उचित संदेह से परे” अपराध साबित करने में विफल रहा.
पीठ ने कहा, ”हमें ऐसा प्रतीत होता है कि जांच में अंग व्यापार की संगठित गतिविधि की संभावित संलिप्तता के अधिक गंभीर पहलुओं की जांच पर ध्यान दिए बिना, घर के एक गरीब नौकर को राक्षस बनाकर फंसाने का आसान तरीका चुना गया.” कोर्ट ने सवाल उठाए कि 60 दिनों की पुलिस रिमांड के बाद बिना किसी मेडिकल जांच के कोली का कबूलनामा पुलिस ने कैसे दर्ज किया. कोर्ट ने कहा कि आरोपी को कोई कानूनी सहायता नहीं दी गई.
अदालत ने कहा कि इस केस की जांच में गड़बड़ी हुई और नियमों का ‘बेशर्मी से उल्लंघन’ किया गया. हाईकोर्ट ने कहा कि एजेंसियों का लापरवाही जन आस्था के साथ धोखे से कम नहीं हुआ है. दरअसल, अदालत ने पंढेर को उन दो मामलों में बरी किया है जिनमें उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी. वहीं कोली को 12 मामलों में बरी किया गया है.
नोएडा के निठारी गांव के सेक्टर 31 से बड़ी संख्या में महिलाओं और बच्चों के लापता होने की सूचना मिली थी. पीड़ित परिवारों द्वारा पुलिस में कई गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. मोनिंदर सिंह पंढेर का बंगला डी-5 सेक्टर 31 में स्थित था. रिम्पा हलदर नाम की 14 वर्षीय लड़की 8 फरवरी 2005 से लापता हो गई. उसके माता-पिता ने पुलिस में अपनी बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए कई प्रयास किए लेकिन असफल रहे.
क्रिकेट खेल रहे कुछ लड़कों को डी-5 के पीछे स्थित नाले में प्लास्टिक बैग में एक हाथ मिला. मामले की सूचना पुलिस को दी गई. पुलिस ने जानवर का हाथ बताकर ग्रामीणों को वहां से हटा दिया. जानकारी के मुताबिक, 7 मई 2006 को पायल नाम की लड़की ने अपने पिता नंद लाल को मोनिंदर सिंह पंढेर के बंगले पर जाने की जानकारी दी लेकिन उसके बाद वह लापता हो गई. उसके पिता उसे खोजने डी-5 गए जहां पंढेर अपने नौकर कोली के साथ रहता था. पंढेर उस दिन नोएडा में नहीं था और कोली ने कहा कि उसे कुछ भी पता नहीं है.
नंद लाल अपनी लापता बेटी की शिकायत दर्ज कराने पुलिस के पास गए लेकिन पुलिस ने उनकी शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया. एक महीने तक पुलिस और पंढेर के चक्कर काटते-काटते तंग आकर उन्होंने जून 2006 को तत्कालीन नोएडा एसएसपी से मदद की गुहार लगाई.
एसएसपी के आदेश पर पुलिस ने नंदलाल की बेटी की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. पायल के फोन से कोली तक पुलिस पहुंच गई. इसके बाद कोली की गिरफ्तारी हुई. पुलिस के रवैये से परेशान होकर नंद लाल ने 7 अक्टूबर 2006 को अदालत का दरवाजा खटखटाया. अदालत ने पुलिस को मामले की जांच करने का आदेश दिया. जांच करने पर पुलिस को बंगले के पीछे स्थित नाले से मानव कंकालों से भरे बहुत सारे प्लास्टिक बैग मिले. पायल केस की जांच से निठारी के गायब हुए बच्चों और किशोरी की पोल खुली. जनता के गुस्से से दबाव में आकर उत्तर प्रदेश सरकार ने 11 जनवरी 2007 को मामला सीबीआई को सौंप दिया. सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में पंढेर और कोली को दोषी बताया था.
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