AIIMS: केंद्र सरकार ने गुरुवार को उस मीडिया रिपोर्ट को खारिज कर दिया है, जिसमें एम्स दिल्ली में बैक्टीरिया के मामलों की पहचान को चीन में निमोनिया के मामलों से जोड़ा गया था.सरकार ने रिपोर्ट को भ्रामक बताया है. सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि एक राष्ट्रीय दैनिक में एक हालिया मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एम्स दिल्ली ने चीन में निमोनिया के मामलों में हालिया वृद्धि से जुड़े सात जीवाणु मामलों का पता लगाया है.”
बता दें कि इस साल अप्रैल और सितंबर के बीच एम्स दिल्ली में माइकोप्लाज्मा निमोनिया बैक्टीरिया के कारण होने वाले संक्रमण के लिए सात सैंपल का पॉजिटिव टेस्ट किया गया, जबकि सिंगापुर में एशिया में सबसे अधिक 172 मामले दर्ज किए गए. बयान में कहा गया है, “छह महीने की अवधि (अप्रैल से सितंबर 2023) में एम्स दिल्ली में चल रहे अध्ययन के हिस्से के रूप में 7 मामलों का पता चला है और चिंता का कोई कारण नहीं है.”
इसके अलावा, इसमें कहा गया है कि जनवरी 2023 से आज तक, एम्स के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में परीक्षण किए गए 61 नमूनों में कोई माइकोप्लाज्मा निमोनिया नहीं पाया गया. माइकोप्लाज्मा निमोनिया समुदाय-अधिग्रहित निमोनिया का सबसे आम जीवाणु कारण है. यह ऐसे सभी संक्रमणों में से लगभग 15-30 प्रतिशत का कारण है.भारत के किसी भी हिस्से से इस तरह की वृद्धि की सूचना नहीं मिली है. हालांकि, सरकार की ओर से चीनी बीमारी से लड़ने के लिए तैयारी की जा रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय राज्य स्वास्थ्य अधिकारियों के संपर्क में है और हर रोज स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा है.
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विशेषज्ञों ने गुरुवार को कहा कि चीन में हाल ही में सामने आया निमोनिया का प्रकोप बाकी दुनिया के लिए चिंता का विषय है क्योंकि हमारी परस्पर जुड़ी दुनिया अभी भी जोखिम पैदा कर रही है, साथ ही उन्होंने सबसे खराब स्थिति के लिए तैयारी करने की जरूरत पर भी जोर दिया. इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर इंफेक्शियस डिजीज की ऑनलाइन रिपोर्टिंग प्रणाली, प्रोमेड मेल पर एक हालिया पोस्ट में बताया गया है कि चीन बच्चों में निमोनिया के बड़े प्रकोप का सामना कर रहा है, जिसका कोई ज्ञात कारण नहीं है. इसमें कहा गया है कि इसका प्रकोप, जिससे तेज बुखार और कुछ फुफ्फुसीय नोड्यूल विकसित होने जैसे लक्षण पैदा हो रहे हैं, देश के बाल चिकित्सा अस्पतालों में भारी दबाव है.
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