दिल्ली हाईकोर्ट ने सिख नेता और जम्मू-कश्मीर राज्य गुरुद्वारा प्रबंधक बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष सुदर्शन सिंह वजीर (Sudarshan Singh Wazir) को सितंबर 2021 में पूर्व नेशनल कॉन्फ्रेंस एमएलसी (MLC Trilochan Singh Wazir Murder) त्रिलोचन सिंह वजीर की हत्या के मामले में सरेंडर करने का निर्देश दिया है. जस्टिस अनीश दयाल ने अभियोजन पक्ष द्वारा सुदर्शन सिंह वजीर के सरेंडर की मांग करने वाली याचिका को स्वीकार कर लिया, जिन्हें पिछले साल अक्टूबर में रिहा किया गया था.
सुदर्शन सिंह वजीर अन्य सह-आरोपी बलबीर सिंह, हरप्रीत सिंह खालसा और राजिंदर चौधरी को 26 अक्टूबर, 2023 को सभी अपराधों से मुक्त कर दिया गया था. आरोपी हरमीत सिंह के खिलाफ हत्या के आरोप तय किए गए. अभियोजन पक्ष द्वारा दायर अपील पर अगले दिन आरोपित आदेश के संचालन पर रोक लगा दी गई. स्थगन आदेश पारित होने के समय हरप्रीत सिंह खालसा, राजेंद्र चौधरी और बलबीर सिंह अभी भी न्यायिक हिरासत में थे, जबकि सुदर्शन सिंह वजीर को पिछले साल 20 अक्टूबर की रात को ही रिहा कर दिया गया था.
बाद में राज्य की ओर से एक आवेदन पेश किया गया, जिसमें कहा गया कि सुनवाई की पहली तारीख को पारित एकपक्षीय अंतरिम निर्देशों के कारण स्थिति वैसी ही हो गई है जैसी कि ट्रायल कोर्ट द्वारा विवादित निर्णय पारित होने से पहले थी. यह तर्क दिया गया कि जब आरोपी हरप्रीत सिंह खालसा, राजेंद्र चौधरी और बलबीर सिंह न्यायिक हिरासत में ही थे, तब सुदर्शन सिंह वजीर को रिहा कर दिया गया था.
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तदनुसार, उनके आत्मसमर्पण के लिए निर्देश मांगे गए थे. अदालत ने कहा यह रेखांकित किया जाता है कि प्रतिवादी की रिहाई ट्रायल कोर्ट द्वारा विवादित निर्वहन आदेश का प्रत्यक्ष परिणाम थी. इस न्यायालय द्वारा ट्रायल कोर्ट के आदेश के संचालन पर रोक लगाए जाने के कारण रिहाई स्वयं ही अमान्य हो जाती है. अदालत ने कहा कि सुदर्शन सिंह वजीर को हिरासत में लिया जाना जरूरी है.
-भारत एक्सप्रेस
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