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दिल्ली हाईकोर्ट ने पी. चिदंबरम के खिलाफ निचली अदालत में चल रही कार्यवाही पर लगाई रोक, ED को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम को दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court)  से बड़ी राहत मिल गई है. दिल्ली हाईकोर्ट ने एयरसेल-मैक्सिस (Aircel-Maxis Case) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम के खिलाफ निचली अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी है. जस्टिस मनोज कुमार ओहरी ने पी. चिदंबरम की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद ईडी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. कोर्ट जनवरी 2024 में इस मामले में अगली सुनवाई करेगा.

अनुमति के बिना ही संज्ञान लिया

मामले की सुनवाई के दौरान चिदंबरम की ओर से पेश वकील ने कहा कि निचली अदालत ने मुकदमा चलाने की अनुमति मिले बिना ही चार्जशीट पर संज्ञान ले लिया था. पूर्व केंद्रीय मंत्री लोकसेवक थे. ऐसे में अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 197(1) के प्रावधानों के तहत अभियोजन चलाने के लिए अनुमति की जरूरत है. लेकिन ईडी (ED) की ओर से पेश वकील ने कहा कि यब याचिका सुनवाई योग्य नहीं है, लिहाजा याचिका को खारिज किया जाए.

सुनवाई पर रोक लगाने की मांग की

कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम (P. Chidambaram) ने एयरसेल-मैक्सिस मामले में अपने व बेटे कार्ति चिदंबरम के खिलाफ ईडी की चार्जशीट पर संज्ञान लेने के विशेष अदालत के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है. चिदंबरम ने अंतरिम राहत के तौर पर हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी होने तक विशेष अदालत में चल रही सुनवाई पर रोक लगाने की मांग की है. विशेष अदालत ने 27 नवंबर 2021 को एयरसेल-मैक्सिस मामले में चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति के खिलाफ सीबीआई एवं ईडी के आरोप पत्रों पर संज्ञान लिया था और उन्हें अगली तारीख तक तलब किया था.

कानून के तहत मंजूरी लेना अनिवार्य

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि क्या इस मामले में दोनों जांच एजेंसियों ने मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी ली है, इस पर एजेंसियों के वकील ने जवाब दिया कि इसकी आवश्यकता नहीं है. ईडी के वकील ने कहा कि यह मानते हुए भी कि मंजूरी की आवश्यकता थी. चिदंबरम की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एन. हरिहरन ने कहा कि मुकदमा चलाने के लिए कानून के तहत मंजूरी लेना अनिवार्य है. ईडी ने इसकी मंजूरी नहीं ली है.


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ये मामला एयरसेल-मैक्सिस सौदे में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (FIPB) की मंजूरी देने में कथित अनियमितताओं से संबंधित है. यह मंजूरी वर्ष 2006 में दी गई थी जबकि चिदंबरम केंद्रीय वित्त मंत्री थे. सीबीआई और ईडी ने आरोप लगाया है कि वित्तमंत्री के तौर पर चिदंबरम ने अपने अधिकार क्षेत्र से परे जाकर सौदे को मंजूरी दी है. इससे कुछ खास लोगों को फायदा पहुचा और लाभ मिली थी.

-भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

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