World Blood Donor Day: खून के बिना हमारा शरीर हड्डियों और मांस का एक ढांचा मात्र है. ऐसे में अगर किसी व्यक्ति के शरीर में खून की कमी हो जाती है और समय रहते इस कमी की पूर्ति नहीं हो पाती है तो व्यक्ति की जान जा सकती है. यही वजह है कि दुनियाभर में रक्तदान को ‘महादान’ कहा जाता है. रक्तदान को लेकर अक्सर लोगों के मन में सवाल होता है कि क्या इसके बाद उनका शरीर कमजोर तो नहीं पड़ जाएगा या ब्लड डोनेट करने से वे किसी बीमारी की चपेट में तो नहीं आ जाएंगे?
बता दें कि दुनियाभर में आज यानी 14 जून को वर्ल्ड डोनर डे मनाया जा रहा है. इस दिन को पहली बार साल 2004 में विश्व स्वास्थय संगठन, इंटरनेशनल फेटरेशन ऑफ रेड क्रिसेंट सोसाइटीज ऑफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन जैसे अंतराष्ट्रीय संगठनों द्वारा मान्यता दी गई थी. इसका मकसद सुरक्षित रक्त और रक्त उत्पादों की जरुरतों के बारे में जागरुकता बढ़ाने और ब्लड डोनेट करने वालों के प्रति आभार व्यक्त करना है जो स्वेच्छा से अपने खून देकर लोगों की जान बचाते हैं.
ब्लड डोनेट करने के बाद रेड ब्लड सेल्स का लेवल कुछ महीने में बराबर हो जाता है. वहीं अगर आप रक्त के साथ-साथ नियमित तौर पर एक्सरसाइज करते हैं और हेल्दी डाइट लेते हैं तो यह पेट के चर्बी को पिघलाने का काम करता है और इस तरह खुद को फिट रखा जा सकता है.
ब्लड डोनेशन का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इससे आपका हार्ट मजबूत रहता है. जो लोग रक्तदान करते रहते हैं उन्हें स्ट्रोक का खतरा कम रहता हैं. जानकारी के अनुसार साल में कम से कम एक बार ब्लड डोनेट करने से हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारी का खतरा 88 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है. रक्त दान करने से आयरन की मात्रा बैलेंस रहती है.
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जो लोग समय-समय पर रक्तदान करते रहते हैं, उनके शरीर में आयरन बैलेंस रहता है. इससे ब्लड में आयरन का उतना जमाव नहीं हो पाता है और कैंसर का खतरा बहुत कम हो जाता है.
– भारत एक्सप्रेस
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