लाइफस्टाइल

क्या होता है cancer metastasis, जिसका मुश्किल है इलाज, जानें इस जानलेवा बीमारी के क्या होते हैं लक्षण?

Metastatic Cancer: कैंसर एक जानलेवा बीमारी है. लाइफस्टाइल में बदलाव करके लगभग आधे कैंसर के मामलों को रोक सकते हैं. यह स्टडी सीए: ए कैंसर जर्नल फॉर क्लिनिशियंस में छपी है. स्टडी में अमेरिका में कैंसर से होने वाली मौतों के आंकड़े भी दिए गए हैं. सबसे ज़्यादा मौतें लंग कैंसर से हुईं, उसके बाद फीमेल ब्रेस्ट कैंसर, स्किन मेलानोमा, कोलोरेक्टल कैंसर, लिवर कैंसर और एसोफेगल कैंसर का नंबर आता है. रिसर्चर्स का कहना है कि अगर लोग अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव लाएं, तो इनमें से कई मौतों को रोका जा सकता है.

इन चीजों से बढ़ रहा कैंसर का खतरा

  • सिगरेट और दूसरों के सिगरेट के धुएं के संपर्क में आना
  • ज़्यादा वज़न
  • शराब पीना
  • खराब खानपान
  • शारीरिक रूप से एक्टिव न होना
  • अल्ट्रावायलेट रेडिएशन
  • एचपीवी जैसे इंफेक्शन

क्या है Metastatic Cancer क्या है

Metastatic Cancer में कैंसर कोशिकाएं शरीर के विभिन्न हिस्सों में फैलती हैं. आसान भाषा में समझें तो मेटास्टेटिक कैंसर एक ऐसी स्थिति है जब कैंसर सेल्स अपने प्राइमरी स्पॉट से अलग होकर लिम्फ सिस्टम या खून के जरिए शरीर के दूसरे हिस्सों में फैल जाती हैं. मतलब, मेटास्टेटिक एक गंभीर स्टेज है, जिसे ‘स्टेज 4 कैंसर’, या फिर सेकेंडरी कैंसर भी कहा जाता है.

जानें इसके लक्षण

इस प्रकार के कैंसर में दिखने वाले लक्षण कुछ अन्य बीमारियों में भी दिखायी देते हैं इसीलिए, कई बार लोगों को कैंसर होने का अंदाजा बहुत देर से होता है. ऐसे में कैंसर के लक्षणों के प्रति सचेत रहने की जरूरत है.

मेटास्टेटिक कैंसर में हड्डियों में दर्द, हाथ-पैर में कमजोरी, उल्टी- दस्त, सिरदर्द, दौरे पड़ना देखने में समस्या, सांस लेने में दिक्कत, पीलिया मल-मूत्र पर कंट्रोल खो देना, इस कैंसर के कुछ बड़े लक्षण हैं.

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मेटास्टैटिक कैंसर का उपचार क्या है?

दुर्लभ और गम्भीर होने के कारण मेटास्टैटिक कैंसर का उपचार थोड़ा मुश्किल होता है. इस कैंसर का पता लगाने के लिए लिक्विड बायोप्सी नाम का ब्लड टेस्ट कराया जाता है. ट्यूमर का पता लगने के बाद इलाज की प्रक्रिया शुरू किया जाता है. कैंसर का इलाज करने के लिए मरीज को कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी, रेडिएशन और सर्जरी की सलाह दी जाती है.

एक्सपर्ट्स के अनुसार कैंसर के लक्षणों को जितनी जल्दी पहचान लिया जाए और इलाज जितनी जल्दी शुरू किया जाए, मरीज के जल्द ठीक होने और उसके बचने की संभावना उतनी बढ़ सकती है.

-भारत एक्सप्रेस 

निहारिका गुप्ता

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