आज के समय में स्ट्रेस और एंग्जायटी बहुत कॉमन प्रॉब्लम है, जिससे हर चौथा इंसान जूझ रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं जरूरत से ज्यादा स्ट्रेस लेना आपके शरीर के लिए बेहद नुकसान के लिए लॉन्ग टर्म में भारी पड़ सकता है. इसी बीच एक नई दिमागी बीमारी तेजी से फेल रही है. इस बीमारी का नाम सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) है. यह एक मेंटल डिजीज है. इसके चलते पीड़ित व्यक्ति के सोचने, समझने के तरीके और व्यवहार में बदलाव आ जाता है. इस डिजीज में व्यक्ति को अपनी ही बात जाहिर करने में परेशानी होती हैं .
दरअसल, हमारे ब्रेन में डोपामाइन नाम का एक न्यूरोट्रांसमीटर होता है, जो दिमाग और शरीर के बीच तालमेल रखता है. लेकिन अगर इंसान के दिमाग में डोपामाइन की मात्रा बढ़ जाती है, तो वह सिजोफ्रेनिया का शिकार हो जाता है. इस परेशानी में मरीज़ बिना किसी वजह के हर बात व व्यक्ति पर शक करता और अपनी ही दुनिया में खोया रहता है. इसके अलावा जो लोग सिजोफ्रेनिया से पीड़ित होते हैं उन्हें हमेशा यही लगता रहता है कि कोई उनके खिलाफ साजिश कर रहा है.
सिजोफ्रेनिया के रोगी का एक महत्वपूर्ण लक्षण होता है ‘पैरानॉया’ या डर. वे अक्सर अपने ही रिश्तेदारों से डरते हैं और अपने आस-पास के लोगों के साथ उनके बारे में अजीब विचार रखते हैं. इसके कारण, वे संवाद में कमी और संबंधों में दूरी बढ़ाते हैं, जिससे उनका सामाजिक जीवन प्रभावित होता है.
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-भारत एक्सप्रेस
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