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Schizophrenia क्या है? कितनी खतरनाक है ये बीमारी, जिसमें अपनों से ही लगने लगता है डर

सिजोफ्रेनिया एक मेंटल ​डिजीज है. इसके चलते पीड़ित व्यक्ति के सोचने, समझने के तरीके और व्यवहार में बदलाव आ जाता है.

Schizophrenia

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आज के समय में स्ट्रेस और एंग्जायटी बहुत कॉमन प्रॉब्लम है, जिससे हर चौथा इंसान जूझ रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं जरूरत से ज्यादा स्ट्रेस लेना आपके शरीर के लिए बेहद नुकसान के लिए लॉन्ग टर्म में भारी पड़ सकता है. इसी बीच एक नई दिमागी बीमारी तेजी से फेल रही है. इस बीमारी का नाम सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) है. यह एक मेंटल ​डिजीज है. इसके चलते पीड़ित व्यक्ति के सोचने, समझने के तरीके और व्यवहार में बदलाव आ जाता है. इस डिजीज में व्यक्ति को अपनी ही बात जाहिर करने में परेशानी होती हैं .

दरअसल, हमारे ब्रेन में डोपामाइन नाम का एक न्यूरोट्रांसमीटर होता है, जो दिमाग और शरीर के बीच तालमेल रखता है. लेकिन अगर इंसान के दिमाग में डोपामाइन की मात्रा बढ़ जाती है, तो वह सिजोफ्रेनिया का शिकार हो जाता है. इस परेशानी में मरीज़ बिना किसी वजह के हर बात व व्यक्ति पर शक करता और अपनी ही दुनिया में खोया रहता है. इसके अलावा जो लोग ​सिजोफ्रेनिया से पीड़ित होते हैं उन्हें हमेशा यही लगता रहता है कि कोई उनके खिलाफ साजिश कर रहा है.

अपने ही लोगों से लगता है डर

सिजोफ्रेनिया के रोगी का एक महत्वपूर्ण लक्षण होता है ‘पैरानॉया’ या डर. वे अक्सर अपने ही रिश्तेदारों से डरते हैं और अपने आस-पास के लोगों के साथ उनके बारे में अजीब विचार रखते हैं. इसके कारण, वे संवाद में कमी और संबंधों में दूरी बढ़ाते हैं, जिससे उनका सामाजिक जीवन प्रभावित होता है.

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Schizophrenia के लक्षण

  • सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति में उदासीनता देखने को मिलती है.
  • आम लोगों की तरह सुख-दुख महसूस नहीं कर पाता.
  • किसी से बातचीत करना पसंद नहीं करता.
  • भूख-प्यास का ख्याल नहीं रख पाता.
  • सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति का व्यवहार असामान्य होता है और उसमें अवसाद के लक्षण दिखाई देते हैं.
  • इस मेंटल हेल्थ प्रोब्लम में आवाजें सुनने का भ्रम होता है.
  • किसी चीज का भ्रम होना और कंफ्यूजन की स्थिति में रहना.
  • कई चीजें, व्यक्ति या कोई आकृतियां दिखना और ऐसी बातें करना जिनका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है.

सिजोफ्रेनिया के कारण

  • सिजोफ्रेनिया के पारिवारिक इतिहास वाले व्यक्तियों में इस मेंटल हेल्थ प्रोब्लम के विकसित होने का खतरा ज्यादा होता है.
  • इंसान के दिमाग में डोपामाइन की मात्रा का बढ़ना.
  • जन्म से पहले संक्रमण, कुपोषण, या तनाव, साथ ही बचपन की चोट के कारण सिजोफ्रेनिया विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है.
  • करियर, बदलती लाइफस्टाइल, टूटते संयुक्त परिवार, पैसा कमाने की होड़ और घरेलू जिम्मेदारियों के कारण भी व्यक्ति सिजोफ्रेनिया का शिकार हो जाता है.

-भारत एक्सप्रेस 

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