महाकुंभ 2025

Mauni Amavasya 2025 पर हरिद्वार और वाराणसी में कैसे उमड़ा जनसैलाब, गंगा में श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

Mauni Amavasya 2025: आज यानी 29 जनवरी को हरिद्वार और वाराणसी में मौनी अमावस्या के दिन स्नान के लिए श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा है. कड़ाके की ठंड के बावजूद हजारों की संख्या में श्रद्धालु हर की पैड़ी और काशी में घाट से लेकर के मंदिर तक आस्था का जनसैलाब नजर आ रहा है. हिंदू मान्यता के अनुसार, इस दिन मौन रहकर गंगा स्नान करने से मोक्ष प्राप्त होता है और सभी पापों का नाश होता है. श्रद्धालुओं का कहना है कि वे इस अवसर का लाभ उठाने के लिए रात से ही हरिद्वार और वाराणसी पहुंच गए है. हरिद्वार में देशभर में श्रद्धालु पहुंचे हैं जिनमें बुजुर्ग, महिलाओं और बच्चे शामिल है. ऐसे में चलिए आपको दिखाते हैं कैसे गंगा में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ रहा है.

हरिद्वार-वाराणसी में कैसे उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब?

मौनी अमावस्या में हरिद्वार में लोग गंगा स्नान करने पहुंच रहे हैं. साथ ही श्रद्धालुओं के गंगा में डुबकी लगाते हुए की खूबसूरत तस्वीरें भी सामने आ रही है. ऐसी मान्यता है कि मौनी अमावस्या पर मौन रहकर मां गंगा में स्नान करने और दान करने से कष्ट दूर होते हैं साथ ही मनोकामनाएं पूरी होती है. पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है. मौनी अमावस्या पर पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए है.

हरिद्वार में स्नान करते हुए श्रद्धालु

लोग घंटो से कर रहे अपने बारी का इंतजार

आस्था में डूबे लोगों का कहना है कि, मां गंगा और बाबा विश्वनाथ पर उन्हें अटूट विश्वास और आस्था है. यही वजह है कि वह लोग दूर दराज से काशी आए हैं. गुजरात से आने वाले भक्त कहते हैं कि, 12 ज्योतिर्लिंगों में से प्रधान ज्योतिर्लिंग बाबा विश्वनाथ हैं. इनके दर्शन से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और सालों बाद ऐसा मौका मिला है. हम संगम में स्नान करने के बाद बनारस में मां गंगा का स्नान किए और उसके बाद बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए जा रहे हैं. सुबह से ही हम लाइन में खड़े हैं और अपने बारी का इंतजार कर रहे हैं.

मौनी अमावस्या पर काशी में लगी आस्‍था की डुबकी

यह भी पढ़ें: मौनी अमावस्या पर संतों ने की श्रद्धालुओं से अपील, अपने नजदीकी घाट पर करें स्नान

क्या है मौनी अमावस्या का महत्व?

मौनी अमावस्या का सनातन धर्म में बड़ा विशेष महत्व होता है. यह एक महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है. इस दिन मौन रहकर नदियों में स्नान किया जाता है और दान धर्म का काम किया जाता है जिससे सभी पापों से मुक्ति मिल जाता है. आज के दिन पितरों का तर्पण करने से उनको शांति मिलती है और इसके साथ ही पितरों का आशीर्वाद मिलता है. इस दिन मौन व्रत रहने से वाक सिद्धि की प्राप्ति होती है.

-भारत एक्सप्रेस 

Akansha

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