वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन के पांचवें बजट को उनका सर्वोत्तम बजट कहा जाए तो यह गलत नहीं होगा। 2024 लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार के अंतिम बजट में वित्त मंत्री ने समावेशी विकास का मॉडल देने के साथ-साथ 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने का रोडमैप दिया है। निर्मला सीतारमन के विकास का मॉडल उनकी सप्तऋषि अवधारणा में नजर आता है। समावेशी विकास, आखिरी व्यक्ति तक पहुंच और वंचितों को वरीयता, बुनियादी ढांचे और निवेश, क्षमता विस्तार, हरित विकास, युवा शक्ति और वित्तीय क्षेत्र- यही वो सप्तऋषि हैं जिन पर सरकार फोकस करने वाली है। किसी खास वर्ग, समूह, जाति, धर्म से ऊपर उठते हुए सही मायने में निर्मला सीतारमन ने हर वर्ग को अपना मुरीद बनाया है।
यहां ये उल्लेख करना जरूरी है कि आम बजट पर 2024 चुनाव का साया नजर नहीं आया। इसे किसी भी तरह चुनावी बजट नहीं कहा जा सकता। इनकम टैक्स में छूट देकर निर्मला सीतारमन ने मध्यम वर्ग को बड़ी राहत तो दी लेकिन इसे भी चुनाव को ध्यान में रखकर की गई घोषणा नहीं कहा जा सकता। यह सुधार 8 साल बाद देखने को मिला है। खास बात ये है कि वित्त मंत्री ने इनकम टैक्स में छूट का दायरा नई टैक्स रिजीम में बढ़ाया है जिसे 2020 के बजट में शुरू किया गया था जबकि पुरानी टैक्स व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया गया। नई इनकम टैक्स रिजीम में अब 7 लाख तक कोई टैक्स नहीं देना होगा। नई टैक्स रिजीम को जिस तरह आकर्षक बनाने की कोशिश इस बजट में दिखती है, उससे ये संकेत मिल रहे हैं कि भविष्य में सरकार इसी व्यवस्था पर सभी टैक्सपेयर को शिफ्ट कराना चाहती है। खास बात यह भी है कि इनकम टैक्स में छूट धनाढ्य वर्ग को भी दी गई है। ये सरकार का दूरंदेशी कदम है क्योंकि जब वैश्विक अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी पड़ने का अंदेशा है, उस समय अपने लोगों की जेब में ज्यादा पैसे बचेंगे तो खपत बढ़ेगी जिससे घरेलू अर्थव्यवस्था को संबल मिल सकेगा।
रोजगार को लेकर विपक्ष के निशाने पर रहीं वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने पूरे बजट भाषण में रोजगार शब्द का इस्तेमाल भले ही सिर्फ चार बार किया हो लेकिन युवाओं में बड़ी उम्मीद जगाने में वह सफल रहीं। पैन इंडिया नेशनल अप्रेंटिसशिप स्कीम से जोड़कर 47 लाख युवाओं को तीन साल तक स्टाइपेंड देने की घोषणा इस दिशा में बड़ा कदम कहा जाएगा। इसके लिए देश भर में 30 स्किल इंडिया सेंटर खोले जाएंगे। साथ ही पीएम कौशल विकास योजना 4.0 लॉन्च की जाएगी।
एक बात और, इस बार के आम बजट में ग्रोथ पर पूरा फोकस दिखता है। इसके लिए सरकार ने बुनियादी क्षेत्र में बजट आवंटन में 33 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर इसे 10 लाख करोड़ कर दिया है। रेलवे को भारी भरकम राशि आवंटित की गई है। 2.40 लाख करोड़ देकर वित्त मंत्री ने रेलवे के आधुनिकीकरण पर विशेष जोर दिया है। सरकार के इस कदम से भी रोजगार के अवसर पैदा होंगे। कर दरों में बदलाव और राज्य सरकारों को दीर्घावधि के लिए ब्याज मुक्त कर देने का फैसला भी महत्वपूर्ण है। राज्यों के लिए ब्याज मुक्त ऋण 1 लाख करोड़ से बढ़ाकर 1.3 लाख करोड़ रुपया कर दिया गया है।
इसके अलावा बजट में राजस्व घाटा को चरणबद्ध तरीके से कम करने की योजना पर अमल करने का वादा भी वित्तमंत्री ने बरकरार रखा है। इसके तहत केन्द्र सरकार 6 फीसदी से कम राजस्व घाटा रखने का अनुशासन बनाने का प्रयास करेगी। वहीं, राज्यों से राजस्व घाटा 3.5 फीसदी के स्तर पर रखने की उम्मीद जताई गई है। वास्तव में बीते कुछ वर्षों में राज्य सरकारों ने राजस्व घाटा कम करने में सफलता हासिल की है। यही कारण है कि केन्द्र सरकार के लिए ऐसी सूरत बनी है कि वह थोड़ा खुलकर बुनियादी संरचना पर खर्च करे।
मोदी सरकार की कोशिश है कि बैंकों में जमा धन बाहर आए और देश की अर्थव्यवस्था में सक्रिय योगदान करे। चूंकि एनपीए के दौर से बैंक बाहर निकल चुके हैं, इसलिए यही वह मौका है जब बैंकों के पास जमा धन का निर्माण में उपयोग किया जाए। बीमा के क्षेत्र में पांच लाख से ज्यादा राशि का प्रीमियम होने पर या फिर एक से ज्यादा बीमा होने पर अब टैक्स लगा करेगा। वहीं रिटायर होने वाले लोगों को मिलने वाली एकमुश्त राशि पर लगने वाले टैक्स से राहत दी गई है। इन दोनों कदमों से अर्थव्यवस्था में रकम लौटेगी जो देश निर्माण में काम आएगी।
लोक कल्याणकारी सोच को मोदी सरकार ने एक बार फिर बरकरार रखा है। अनाज वितरण योजना अगले एक साल तक के लिए जारी रहने वाली है। इसके अलावा जनजातीय समूहों के लिए अलग से बजट, एकलव्य आवासीय स्कूल जैसे कदमों ने केन्द्र सरकार के आलोचकों का मुंह चुप करा दिया है। बहुमूल्य धातुओं मसलन सोना, चांदी और प्लेटिनम पर सीमा शुल्क 20 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी करना और कृत्रिम आभूषण पर सीमा शुल्क 20 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी किए जाने, सिगरेट पर 16 फीसदी टैक्स बढ़ाने के बावजूद सरकार से किसी को कोई शिकायत नहीं है।
मोदी सरकार भले ही किसानों के निशाने पर रही है लेकिन बजट में इस बार किसान प्राथमिकता पर रहे। किसानों के लिए कृषि क्रेडिट कार्ड 20 लाख करोड़ करने की घोषणा की गई है। बीते वर्ष के मुकाबले इस साल डेढ़ लाख करोड़ की बढ़ोतरी हुई। कृषि स्टार्ट अप बढ़ाने के लिए एग्रीकल्चर एक्सीलेटर फंड, प्रधानमंत्री मत्स्य योजना के लिए 6 हजार करोड़ रुपये का ऐलान, मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए इंस्टीच्यूट्स ऑफ मिलेट्स, अगले 3 साल में 1 करोड़ किसानों को नेचुरल फार्मिंग के लिए प्रोत्सहित करना जैसी घोषणाएं भी महत्वपूर्ण हैं। हालांकि कृषि बजट में महज एक हजार करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है और 2023-24 के लिए 1.25 लाख करोड़ का आवंटन हुआ है लेकिन किसानों की दशा सुधारने को लेकर सरकार की गंभीरता इस बजट में नजर आती है। को-ऑपरेटिव बैंक से किसानों की मदद करने की घोषणा महत्वपूर्ण है। इसके लिए 63 हजार सोसाइटियां कंप्यूटराइज्ड होंगी। मोटे अनाज को श्री अन्न का नाम देकर प्रमोट करना भी सरकार की नई पहल है।
निर्मला सीतारमन के बजट की एक और खासियत यह है कि राजस्व जुटाने में कॉरपोरेट टैक्स और इनकम टैक्स बराबर का योगदान करने जा रहे हैं। राजस्व संकलन में दोनों ही क्षेत्र 15-15 फीसदी का योगदान करेंगे। जीएसटी का राजस्व में योगदान 17 फीसदी हो रहा है और यह भी एक बड़ी उपलब्धि है। कर्ज अवश्य ही चिंता का विषय है जो कोविड की महामारी के बाद से लगातार बढ़ता चला जा रहा है और अब यह आम बजट का 34 फीसदी हो चुका है।
ऐसे समय में जब भारत में आर्थिक विकास की दर 7 प्रतिशत के आसपास रहने वाली है, दुनिया के निवेशक भारत की ओर आशा भरी नजरों से देख रहे हैं। भारत उम्मीदों का देश बनकर सामने दिख रहा है। इन सबके बीच आम बजट ने इन उम्मीदों को जगाया है। यही कारण है कि शेयर बाजार में अडानी इफेक्ट के बावजूद भागमभाग नहीं मची है। न सिर्फ विदेशी निवेशक बल्कि देशी निवेशक भी भारतीय अर्थव्यवस्था और बाजार पर भरोसा करते दिख रहे हैं। कुल मिलाकर कहा जाए तो इस बार का आम बजट देश को विकसित राष्ट्र बनाने के सपने को साकार करने की दिशा में एक मजबूत नींव साबित होगा।
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