मुद्दे की परख

इन 4 कारणों से नई ऊंचाइयों पर पहुंचा अडानी ग्रुप का मार्केट कैप

भारत के सबसे बड़े और सबसे बड़े व्यापार समूहों में से एक, अडानी समूह ने दिसंबर 2023 के पहले सप्ताह में अपने बाजार पूंजीकरण में अभूतपूर्व वृद्धि देखी है. अडानी ग्रुप का बाजार पूंजीकरण गुरुवार, 7 दिसंबर को 7-7 प्रतिशत बढ़कर 15.14 लाख करोड़ हो गया. शुक्रवार को शेयर मार्केट बंद होने पर ग्रुप का मार्केट कैप 11.02 लाख करोड़ था. इसका मतलब है कि समूह ने केवल 4 दिनों में अपने मूल्य में लगभग 4.12 लाख करोड़ जोड़ लिए.

अडानी समूह के मार्केट मूल्य में आई इस उछाल के पीछे आखिर क्या कारण हो सकते हैं? मेरा मानना ​​है कि इसके पीछे चार कारकों ने अहम भूमिका निभाई है. जिन्होंने अडानी शेयरों की तेजी में अपना योगदान दिया है.

राजनीतिक जादू-टोना का संभावित अंत

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव ने समूह की भविष्य की संभावनाओं में निवेशकों का विश्वास बढ़ाया है. इन राज्यों में बीजेपी ने कांग्रेस पार्टी और उसके नेता राहुल गांधी को हराकर प्रचंड बहुमत हासिल किया. कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी ने गौतम अडानी और उनके समूह पर हमले को अपने चुनाव अभियान का अहम मुद्दा बनाया था. उन्होंने अडानी पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ करीबी रिश्ते रखने और सरकार की नीतियों से फायदा उठाने का आरोप लगाया था.

हालांकि, जनता ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और बीजेपी को वोट दिया. विश्लेषकों का मानना ​​है कि यह मोदी और उनकी सरकार पर जनता के भरोसे को दर्शाता है. उनका यह भी मानना ​​है कि इससे अडानी और उनके समूह पर विपक्षी दलों और विदेशी तत्वों द्वारा वित्त पोषित मीडिया संगठनों का दबाव कम हो जाएगा. जिसका नतीजा ये है कि निवेशकों को उम्मीद है कि अडानी भविष्य में अपने व्यवसाय का विस्तार करेंगे और अपना मुनाफा बढ़ाएंगे.

इसके उलट, अगर कांग्रेस पार्टी ने राज्य चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया होता, तो स्थिति इससे कहीं अलग होती. कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने अडानी और उनके समूह की आलोचना तेज कर दी होगी। उन्होंने चुनाव परिणामों को मोदी सरकार में भ्रष्टाचार और पक्षपात के अपने दावों के समर्थन के रूप में दिखाने का प्रयास किया होगा. इससे जनता के मन में अडानी और उनके समूह की नकारात्मक छवि बनेगी. इससे निवेशकों के विश्वास और समूह के प्रदर्शन पर भी असर पड़ा होगा.

भाजपा की जीत राजनीतिक स्थिरता की शुरुआत

भाजपा अपनी व्यापार-समर्थक और विकास-समर्थक नीतियों के लिए जानी जाती है, जो समूह के विकास और विस्तार के लिए अनुकूल माहौल बना सकती है. भाजपा अधिक निवेश आकर्षित करने, बुनियादी ढांचे में सुधार और निजी क्षेत्र पर नियामक बोझ को कम करने के लिए विभिन्न पहलों और सुधारों को बढ़ावा दे रही है. इन नीतियों के कुछ उदाहरण हैं, जिनमें मेक इन इंडिया अभियान, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), और दिवाला एवं दिवालियापन संहिता (आईबीसी) हैं. इन नीतियों ने अधिक अवसर पैदा करके, लागत कम करके और दक्षता बढ़ाकर उद्योगों को फायदा पहुंचाया है. भाजपा ऊर्जा और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों का भी समर्थन करती रही है, जिसमें अडानी समूह का पर्याप्त निवेश है. मोदी सरकार की उद्योग-समर्थक और विकास-समर्थक नीतियां समूह को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अपने दृष्टिकोण और लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम बना सकती हैं.

अधिग्रहण और विस्तार

अदानी समूह पिछले कुछ महीनों में सीमेंट, हवाई अड्डों, बिजली और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में संपत्तियों के अधिग्रहण की होड़ में लगा हुआ है. समूह ने हाल ही में भारत की दो प्रमुख सीमेंट कंपनियों एसीसी और अंबुजा सीमेंट्स का 85,000 करोड़ में अधिग्रहण किया है और 2028 तक नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करके 60% सीमेंट का उत्पादन करने की योजना बनाई है. इस अधिग्रहण से समूह की सीमेंट उद्योग में पकड़ काफी मजबूत होगी.

भारत में सात हवाई अड्डों के संचालन के अलावा, अडानी 8625 करोड़ के निवेश पर नवी मुंबई में एक ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे का निर्माण कर रहा है. यह अधिग्रहण समूह को 300 मिलियन से अधिक की संयुक्त वार्षिक यात्री क्षमता के साथ भारत में सबसे बड़ा हवाई अड्डा संचालक बना देगा.

बंदरगाह क्षेत्र में अगर बात करें तो अडानी ने इस वर्ष इज़राइल में हाइफ़ा बंदरगाह, श्रीलंका में कोलंबो पश्चिमी टर्मिनल और तमिलनाडु में कराईकल बंदरगाह का अधिग्रहण किया है. अडानी समूह भारत का ट्रांसशिपमेंट हब बनने की ओर बढ़ते हुए केरल के विझिंजम में भारत के गहरे बंदरगाह का भी विकास कर रहा है.

समूह ने गुजरात में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में 50,000 करोड़ निवेश करने की योजना की भी घोषणा की. यह निवेश समूह को 2030 तक 50 गीगावॉट की उत्पादन क्षमता के साथ दुनिया की सबसे बड़ी नवीकरणीय ऊर्जा कंपनी बनने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा. समूह ने तेल पर भारत की निर्भरता को कम करने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन में 4.15 लाख करोड़ का निवेश करने की भी योजना बनाई है. इसी तरह अदानी ने अपने बिजनेस पोर्टफोलियो को पोर्ट-टू-पावर समूह से पोर्ट-टू-टेक समूह में लाने के लिए अपने नए उद्यम शुरू किए हैं.

प्रदर्शन और रेटिंग

कोविड-19 महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद, अडानी समूह ने हाल की तिमाहियों में मजबूत वित्तीय परिणाम दिए हैं. सितंबर 2023 को समाप्त तिमाही के लिए समूह का कंसोलिडेट रेवेन्यू साल-दर-साल 41% बढ़कर 48,894 करोड़ हो गया, जबकि इसका कंसोलिडेट EBITDA 49% बढ़कर 12,887 करोड़ हो गया. अडानी ग्रुप की क्रेडिट रेटिंग में भी सुधार हुआ है, मूडीज ने अडानी पोर्ट्स और अडानी ग्रीन एनर्जी की रेटिंग को अपग्रेड किया है, और फिच ने अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस और अडानी टोटल गैस की रेटिंग की पुष्टि की है. ये रेटिंग अडानी समूह के मजबूत व्यवसाय मॉडल, अलग-अलग राजस्व धाराओं और मजबूत नकदी प्रवाह के सृजन की क्षमता को दर्शाती हैं.

2020 की शुरुआत से अडानी समूह का मार्केट कैप 11 गुना से अधिक बढ़ गया है, जिससे यह भारत में सबसे मूल्यवान और विविध व्यावसायिक समूहों में से एक बन गया है. ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स के अनुसार, समूह के संस्थापक और अध्यक्ष, गौतम अडानी, अब 7.15 लाख करोड़ ($86.2 बिलियन) की कुल संपत्ति के साथ एशिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति हैं. ग्रुप की महत्वाकांक्षी दृष्टि और आक्रामक विस्तार रणनीति ने इसे भारतीय और वैश्विक बाजारों में अपनी धाक जमाने वाली ताकत बना दिया है.

समूह ने अडानी फाउंडेशन, अडानी इंस्टीट्यूट ऑफ इंफ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट और अडानी सोलर पार्क जैसी विभिन्न पहल का समर्थन करके सामाजिक जिम्मेदारी और पर्यावरणीय स्थिरता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी प्रदर्शित की है.

उपेन्द्र राय, सीएमडी / एडिटर-इन-चीफ, भारत एक्सप्रेस

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