Bihar News: भागलपुर के सबौर स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय (BAU) ने एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धि हासिल की है. विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बिक्सा ओरियाना (अन्नाटो) से प्राकृतिक सिन्दूर (सिया सिन्दूर) के उत्पादन में सफल शोध किया है. इस नवाचार को मान्यता देते हुए ‘बिहार स्टार्टअप’ ने कटिहार की रीना सिंह को इस उत्पाद के वाणिज्यीकरण के लिए 10 लाख रुपये का अनुदान प्रदान किया है.
यह शोध बिक्सा ओरियाना पर केंद्रित है, जो अपने प्राकृतिक बिक्सिन रंजक (पिगमेंट) के लिए प्रसिद्ध है. यह रंजक एक पर्यावरण-अनुकूल और गैर-विषाक्त विकल्प प्रदान करता है, जो पारंपरिक सिंथेटिक सिन्दूर में पाए जाने वाले सीसे (लेड) और पारे (मरकरी) जैसी भारी धातुओं से मुक्त होता है. ये रसायन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माने जाते हैं.
वैज्ञानिकों ने उन्नत निष्कर्षण, स्थिरीकरण और सूत्रीकरण तकनीकों का उपयोग किया है, जिससे सिन्दूर की रंग स्थिरता, शेल्फ-लाइफ और उत्पाद की सुरक्षा में सुधार किया जा सके.
यह महत्वपूर्ण शोध निदेशक अनुसंधान डॉ. ए.के. सिंह और डॉ. वी. शाजिदा बानो के वैज्ञानिक मार्गदर्शन में और बीएयू, सबौर के कुलपति डॉ. डी.आर. सिंह के नेतृत्व में संचालित हुआ. डॉ. डी.आर. सिंह ने इस उपलब्धि पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा, “यह शोध बीएयू सबौर की वैज्ञानिक उत्कृष्टता और कृषि-उद्यमिता को प्रोत्साहित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.”
उन्होंने आगे कहा, “बिक्सा ओरियाना की प्राकृतिक रंजक क्षमता का उपयोग करके हम स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को हल कर रहे हैं और साथ ही ग्रामीण जैव-आर्थिकी विकास को बढ़ावा दे रहे हैं.”
प्रौद्योगिकी की व्यावसायिक संभावनाएँ
अनुसंधान निदेशक डॉ. ए.के. सिंह ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर जोर देते हुए कहा, “वनस्पति-आधारित जैव-रंजकों की व्यापक संभावनाएं हैं. यह पहल उनके व्यावसायिक अनुप्रयोगों का एक उत्कृष्ट उदाहरण है.” उन्होंने यह भी कहा कि उनकी अनुसंधान टीम ने उन्नत निष्कर्षण और स्थिरीकरण तकनीकों को अपनाकर प्राकृतिक सिन्दूर की शुद्धता और स्थिरता को अधिकतम किया है. भविष्य में पादप-रसायन आधारित व्यावसायिक अनुप्रयोगों की संभावनाएं और भी बढ़ेंगी.
रोजगार और ग्रामीण विकास के अवसर
बिक्सा ओरियाना से बने प्राकृतिक सिन्दूर का सफल वाणिज्यीकरण किसानों, लघु उद्योगों और महिला उद्यमियों के लिए नए अवसर पैदा करेगा. इससे ग्रामीण रोजगार और बिहार के कृषि क्षेत्र में मूल्य संवर्धन (वैल्यू-एडिशन) को बढ़ावा मिलेगा.
यह पहल जैव-प्रौद्योगिकी आधारित उत्पाद विकास की दिशा में एक नया मील का पत्थर साबित होगी, जिससे प्राकृतिक रंग, सौंदर्य प्रसाधन और पोषण उत्पादों के क्षेत्र में नए आयाम खुलेंगे.
वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा की योजनाएँ
BAU सबौर इस सफलता के बाद नए अनुसंधान सहयोग, निवेश अवसरों और तकनीकी स्थानांतरण की संभावनाओं का पता लगा रहा है. इसका उद्देश्य प्राकृतिक रंजक उत्पादन को बड़े पैमाने पर बढ़ाना और इसे वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाना है.
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