सियासी किस्से

Siyasi Kissa: अमिताभ न हारें इसलिए राजीव ने खेला था ये दांव… एक रात की प्लानिंग ने पलट दी थी सियासत की कहानी

Siyasi Kissa: एक दौर था, जब अमिताभ बच्चन एंग्री यंग मैन के रूप में पूरे देश में छा चुके थे. जनता उनकी दीवानी थी और इसी का फायदा उनको राजनीति में भी मिला, जब उन्होंने दिग्गज कांग्रेसी रहे हेमवती नंदन बहुगुणा को इलाहाबाद सीट पर करारी शिकस्त दी थी. तब बहुगुणा कांग्रेस के खिलाफ खड़े थे.

उस समय इलाहाबाद सीट के लिए राजीव गांधी ने किस तरह से दांव खेला था, इसे लेकर राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी ने अपनी किताब How Prime Ministers Decide में तमाम राज खोले हैं.

वह दिसंबर 1984 की एक रात थी, जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एचआर भारद्वाज के पास तत्कालीन पीएम राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) ने बुलावा भेजा और आधी रात को भारद्वाज जब 1, अकबर रोड स्थित राजीव के आवास पर पहुंचे तो उन्हें सामने ही बैठे वीपी सिंह दिख गए थे. उस समय वह कांग्रेस के यूपी प्रमुख थे, लेकिन राजीव ने वीपी सिंह को नजरअंदाज किया और भारद्वाज को लेकर सीधे अंदर के कमरे में चले गए. बस यहीं से अमिताभ के राजनीति में एंट्री को लेकर समय का चक्र ही मानो घूम गया था.

वहां बैठे शख्स की ओर इशारा करते हुए राजीव ने भारद्वाज से पूछा था, ‘इन्हें जानते हो?’ इस पर उन्होंने जवाब दिया था, ‘यह तो एक्टर हैं, लेकिन मैं इनके पिता को जानता हूं.’

उस समय राजीव के घर में अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) मौजूद थे. वह समय 1984 का था और देश में सियासी लहर हिचकोले ले रही थी. इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की हत्या के बाद राजीव ने पार्टी के साथ ही देश की कमान को भी अपने हाथ में ले लिया था.

दिसंबर में ही चुनाव होने थे. सहानुभूति की लहर पर कांग्रेस की नैया चुनावी वैतरणी पार करती हुई दिखाई दे रही थी. जनता के बीच राजीव का क्रेज चरम पर था. हालांकि इलाहाबाद में कुछ पेंच फंसा हुआ था. यहां पर तब कांग्रेसी रहे हेमवती नंदन बहुगुणा (Hemvati Nandan Bahuguna) कांग्रेस के खिलाफ ताल ठोक रहे थे. वह तब राष्ट्रीय लोकदल के टिकट पर चुनाव मैदान में थे, लेकिन अमिताभ के स्टारडम के कारण उन्हें हार का सामना करना पड़ा. बहुगुणा को मात देने के लिए राजीव ने जो दांव खेला था, वो आज भी सियासी गलियारों में चर्चा का विषय रहता है.


ये भी पढ़े: एक बार राजीव गांधी ने अमिताभ बच्चन को ‘स्नेक’ कह दिया था, जाने वो किस्सा


अमिताभ ने दिया था ये जवाब

राजीव गांधी ने जब चुनाव लड़ने के बारे में अमिताभ से कहा था तो उनका सीधा जवाब था, ‘मुझे पॉलिटिक्स के P के बारे में भी नहीं पता.’ इसके बाद तमाम चर्चा के बाद अमिताभ चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गए. फिर भारद्वाज को अमिताभ से मिलाने के बाद राजीव दोनों को लेकर विजिटिंग रूम में पहुंचे, जहां वीपी सिंह बैठे उनका इंतजार कर रहे थे.

उस समय अपने निधन के दो दिन पहले ही यूपी की जिम्मेदारी वीपी सिंह को खुद इंदिरा सौंप गई थीं. इसलिए उनका यूपी में प्रत्याशियों को चुनने में पूरा दखल था. दरअसल उस समय उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के हालत ठीक नहीं थे. पार्टी में दोबारा जान फूंकने के लिए ही इंदिरा ने वीपी सिंह को भेजा था.

जब इलाहाबाद से अमिताभ बच्चन को चुनाव लड़वाने की बात सामने आई तो वीपी ने बस इतना ही कहा था, ‘कोई समस्या नहीं है. हम लोग तिवारी को बदल देंगे.’ तिवारी का मतलब है, केपी तिवारी, जो कि वीपी सिंह के काफी करीब थे. तब उनको इलाहाबाद से कांग्रेस का टिकट दिया जा चुका था.

उस रात बढ़ गई थी वीपी सिंह की मुश्किल

नीरजा अपनी किताब में लिखती हैं कि उस रात तो वीपी सिंह ने कुछ नहीं कहा, लेकिन वास्तव में उनकी मुश्किल बढ़ गई थी. रातोंरात तिवारी को यूपी कैबिनेट में जगह दी गई और अगले दिन उन्होंने शपथ भी ले ली. बाद में उन्हें विधान परिषद सदस्य बनाया गया था.

इस तरह से इलाहाबाद से अमिताभ के लिए चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो चुका था. अब आगे की रणनीति थी उनके जरिये बहुगुणा को चौंकाने की और अमिताभ बच्चन चुनाव लड़ने जा रहे हैं, इस बात को पूरी तरह से गोपनीय रखा गया था.

अमिताभ ने आखिरी दिन भरा था पर्चा

उस समय उत्तर प्रदेश में चुनावी योजनाओं के बारे में पूरी जिम्मेदारी अरुण नेहरू के पास थी. वह अमिताभ और जया बच्चन को बड़े ही गुपचुप तरीके से लेकर लखनऊ पहुंचे और फिर एयरपोर्ट से दोनों को सीधे सीएम आवास ले गए. फिर यहां पर अमिताभ को सभी की नजरों से बचाकर इलाहाबाद ले जाने की योजना बनाई गई. हुआ भी यही.

इसी योजना के हिसाब से काम हुआ और आखिरी वक्त तक किसी को इस बात की भनक तक नहीं लगी कि कांग्रेस ने अमिताभ को चुनावी मैदान में उतारा है. चुनाव के लिए पर्चा दाखिल करने का आखिरी समय शाम चार बजे का था और अमिताभ ने 3:30 बजे के आसपास पर्चा भरा. तब बहुगुणा के पास बिल्कुल भी समय नहीं था बचा था कि वह किसी और सीट से नामांकन दाखिल करने के बारे में सोच सकें. इस तरह से बहुगुणा को उस समय के सुपरस्टार से चुनावी मैदान में भिड़ना पड़ गया था.

अमिताभ से कांग्रेसी नेताओं में असुरक्षा की भावना

ये बात तो सभी जानते थे कि अमिताभ बच्चन, राजीव गांधी के कितने करीब थे. इसी बात को लेकर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस नेताओं में असुरक्षा की एक भावना भी भर गई थी. इससे वीपी सिंह भी अछूते नहीं बचे थे. यही वजह रही कि उन्होंने खुद को अमिताभ की चुनावी सभाओं से दूर रखा. वह केवल एक मौके पर ही आए थे, जब राजीव चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे थे.

…और फिर जनता कटने लगी थी अमिताभ से

नीरजा चौधरी की किताब के मुताबिक, उस चुनाव में 68 फीसदी वोट पड़े और अमिताभ ने बहुगुणा को मात दे दी थी. इस चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली तो दूसरी ओर प्रदेश अध्यक्ष वीपी सिंह को महसूस होने लगा कि उन्हें इलाहाबाद से बेदखल कर दिया गया. वह ये महसूस करने लगे कि इस क्षेत्र से जुड़े मामलों में उनकी पूछ घटती गई.

हालांकि उनको अपनी परेशानी से जल्द ही निजात भी मिल गई, क्योंकि अमिताभ ने सही ही कहा था कि उन्हें पॉलिटिक्स के P के बारे में भी नहीं पता. जल्द ही वह अपने संसदीय क्षेत्र से दूर होते गए और अपने क्षेत्र में ध्यान देना भी उन्होंने कम कर दिया था, तो जनता भी उनसे कटने लगी. 1987 के बीच में ही जब भाई अजिताभ पर आरोप लगे, तो अमिताभ ने इस्तीफा दे दिया था.

इसलिए भी अमिताभ को लड़ना पड़ा था चुनाव

माना जाता है कि उस समय कांग्रेस के लिए अमिताभ को चुनाव लड़ने की सबसे बड़ी वजह बच्चन और नेहरू-गांधी परिवार के बीच के पुराने संबंध भी थे. इस रिश्ते की नींव 1940 के दशक के शुरुआत में पड़ी थी. सरोजनी नायडू ने हरिवंश राय बच्चन और उनकी पत्नी तेजी बच्चन का परिचय जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) से कराया था.

इसी के बाद तेजी और इंदिरा के बीच दोस्ती इतनी गहरी हो गई कि 1968 में जब सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) राजीव से शादी करने के लिए इटली से भारत आईं तो वह बच्चन परिवार के यहां ही रुकी थीं. इसी रिश्ते को आगे बढ़ाते हुए अगली पीढ़ी के राजीव और अमिताभ ने नया कदम उठाया था.

हरिवंश राय जब राज्यसभा के लिए नामित हुए और परिवार दिल्ली आ गया, तब राजीव और अमिताभ राष्ट्रपति भवन के स्विमिंग पूल में साथ में तैरने के लिए भी जाते थे. ऐसे में इंदिरा की मौत के बाद राजीव को सहारा देने के लिए अमिताभ ने राजनीति में उतरने की बात भी मान ली थी.

-भारत एक्सप्रेस

Archana Sharma

Recent Posts

टीम इंडिया को अपनी Spin बॉलिंग से नचाने वाला ये गेंदबाज ICC Player Of The Month अवार्ड के लिए हुआ नामित

अमेलिया केर, डिएंड्रा डॉटिन और लॉरा वोल्वार्ट अक्टूबर के लिए आईसीसी  प्लेयर ऑफ द मंथ…

3 mins ago

“मोदी जी अगर चाय बेचते थे तो मैं भी मजदूरी करता था”, खड़गे बोले- प्रधानमंत्री को खुली बहस की चुनौती देता हूं, क्योंकि उन्होंने…

कांग्रेस अध्यक्ष ने केंद्र की सरकार पर एयरपोर्ट, सड़क, रेल और पोर्ट बेचने का आरोप…

42 mins ago

सलमान खान को धमकी देने वाले एक और शख्स का मुंबई पुलिस ने लगाया पता

कुछ दिनों पहले मुंबई ट्रैफिक पुलिस को सलमान खान को मारने की धमकी वाला एक…

44 mins ago

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के बीच किम जोंग की दहशत, उत्तर कोरिया ने दागी बैलिस्टिक मिसाइल

उत्तर कोरिया ने पूर्वी सागर में छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को लॉन्च किया है.…

60 mins ago

25 नवंबर से शुरू होने जा रहा संसद का शीतकालीन सत्र, वक्फ बिल और ‘One Nation One Election’ बिल हो सकता है पास

संसदीय कार्य मंत्री ने एक्स पर पोस्ट कर बताया, "भारत सरकार की सिफारिश पर, माननीय…

2 hours ago