Ram Mandir: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. इसी क्रम में रामलला की मूर्ति बनाने के लिए नेपाल के गंडक नदी से दो विशालकाय शालिग्राम शिलाएं अयोध्या लाई जा रही हैं जिनका प्रवेश आज दोपहर यूपी में होगा. इसके स्वागत के लिए भव्य तैयारी की गई है. नेपाल में जनकपुरी होने के नाते नेपाल माता जानकी का मायका है और अयोध्या ससुराल. ऐसे में नेपाल से अयोध्या आ रहे ये पत्थर सनातन धर्म के लोगों के लिए अति पूजनीय हो गए हैं. ये पत्थर जहां से गुजर रहे हैं वहां बड़ी संख्या में लोग पूजा-पाठ कर रहे हैं और स्पर्श करने के लिए आतुर दिखाई दे रहे हैं.
बता दें कि दोनों शिलाएं विभिन्न मार्गों से होते हुए 2 फरवरी को अयोध्या पहुंचेंगी. 30 जनवरी को जनकपुरी से इनका सफर शुरू हुआ था जो बिहार के मधुबनी बॉर्डर से भारत में प्रवेश हो चुका है। बिहार के तमाम हिस्सों में बड़ी संख्या में लोग इन शिलाओं के एक स्पर्श के लिए आतुर दिखाई दे रहे हैं. दोनों शिलाएं आज (31 जनवरी) दोपहर बाद गोरखपुर के गोरक्षपीठ पहुंचेंगी.
127 क्विंटल है शिलाखंडों का वजन
बता दें कि अयोध्या में रामलला की मूर्ति स्थापित की जाएगी जो शालिग्राम पत्थर से ही बनेगी. ये पत्थर दो टुकड़ों में है और दोनों शिलाखंडों का कुल वजन 127 क्विंटल है. जानकारों का कहना है कि महीनों की खोज के बाद शालिग्राम पत्थर के इतने बड़े टुकड़े मिल सके हैं. कुल चार दिन की यात्रा कर ये शिलाखंड दो फरवरी को अयोध्या पहुंचेंगे.
प्रतिदिन 125 किलोमीटर तय किया जा रहा है रास्ता
शिलाखंड ला रहे लोग प्रतिदिन 125 किलोमीटर का सफर तय कर रहे हैं. इन पत्थरों को बीते शुक्रवार सबसे पहले पोखरा से नेपाल के जनकपुर लाया गया जहां विधि-विधान से इनकी पूजा की गई. इसी दिन इन दोनों शिलाखंडों का दो दिवसीय अनुष्ठान भी प्रारम्भ हुआ जिसके बाद इनकी यात्रा शुरू हुई. इस यात्रा में जनकपुर और बिहार के साधु-संतों के साथ विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और हिंदूवादी संगठनों के पदाधिकारी भी शामिल हैं.
दोपहर दो बजे गोरखपुर पहुंचेंगी शिलाएं
शिलाएं मंगलवार को दोपहर करीब 2 बजे गोरखपुर के गोरक्षपीठ पहुंचेंगी. यहां पर विधि-विधान से इनका पूजन किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी वहां मौजूद रह सकते हैं. इसके बाद गोरक्षपीठ मंदिर में ही पूरा काफिला विश्राम करेगा. गोरखपुर से चलकर 2 फरवरी को ये शिलाएं अयोध्या पहुंचेंगी. अयोध्या में भी संतों-महंतों द्वारा इनका पूजन किया जाएगा.
जानें क्या है शालिग्राम पत्थरों की मान्यता
हिंदू धर्म ग्रंथों व शास्त्रों में शालिग्राम पत्थरों को भगवान विष्णु का स्वरूप माना गया है. वैष्णव पंथ के लोग शालिग्राम भगवान की पूजा करते हैं. अधिकांश सनातनी अपने घर के मंदिरों में भी छोटे शालिग्राम घर में रखते हैं. इसे अधिकतर नेपाल की गंडकी नदी में पाया जाता है. हिमालय के रास्ते में पानी चट्टान से टकराकर इस पत्थर को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देता है और नेपाल के लोग इन पत्थरों को ढूंढकर लाते हैं और इनकी पूजा करते हैं.
जानें शिलाओं से कैसे बनेगी रामलला की मूर्ति
जानकारों के मुताबिक अयोध्या पहुंचने के बाद शालिग्राम की इन शिलाओं से रामलला की मूर्ति तैयार करने की एकदम अलग प्रक्रिया है. रामलला की मूर्ति तैयार करने के लिए जिन मूर्तिकारों व कलाकारों का चयन किया गया है, वे पहले अपना सैंपल श्रीराम भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को देंगे. चयनित सैंपल के मूर्तिकार को शालिग्राम का यह पत्थर रामलला की मूर्ति बनाने के लिए दिया जाएगा. यह मूर्ति 5 से साढ़े 5 फीट के बाल स्वरूप की होगी. मूर्ति की ऊंचाई इस तरह तय की जा रही है कि रामनवमी के दिन सूर्य की किरणें सीधे रामलला के माथे पर पड़ें.
-भारत एक्सप्रेस
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