Is physical relationship right or wrong during Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि को शक्ति की उपासना का पर्व माना गया है. चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि का आरंभ होता है. जबकि इसका समापन चैत्र शुक्ल नवमी तिथि को होता है. साल 2024 में चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल को घटस्थापना के साथ हो रही है. जिसकी समाप्ति 17 अप्रैल को होगी. इस बीच 17 अप्रैल को ही रामनवमी मनाई जाएगी. शास्त्र-पुराणों में ऐसा उल्लेख मिलता है कि चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा की विधिवत उपासना करने से तीन प्रकार के ताप (दैहिक, दैविक और भौतिक) दूर हो जाते हैं. चैत्र नवरात्रि का व्रत करने वालों को कुछ खास नियमों का पालन करना जरूरी बताया गया है. कुछ लोगों के मन ऐसी जिज्ञासा होगी कि नवरात्रि व्रत के दौरान शारीरिक संबंध बना सकते हैं? दरअसल शास्त्रों में इसके बारे में विस्तार से बताया गया है. आइए जानते हैं कि इस बारे में शास्त्र-पुराणों में क्या कहा गया है?
चैत्र नवरात्रि को शक्ति की उपासना का त्योहार माना गया है. धर्म शास्त्रों और पुराणों में ऐसा स्पष्ट उल्लेख मिलता है कि किसी भी व्रत-त्योहार के दौरान शरीरिक संबंध बनना उचित नहीं है. नवरात्रि का व्रत रखने वालों और मां दुर्गा के उपसकों को नवरात्रि के दौरान तो ऐसे विचार मन में भी नहीं लाना चाहिए. नवरात्रि के दौरान अमूमन हर हिंदू परिवार में शक्ति की देवी मां दुर्गा की उपासना होती है. ऐसे में अगर इस दौरान शारीरिक संबंध की चेष्टा करेंगे तो व्रत-पूजा का कोई फल नहीं मिलेगा.
यहां तक कि पति-पत्नी को भी नवरात्रि के दौरान शारीरिक संबध बनाने से बचना चाहिए.
चैत्र नवरात्रि में भी कई लोग व्रत रखकर उसके नियमों का पालन भी कठोरता से करते हैं. ऐसे में अगर किसी के घर में उसका जीवनसाथी व्रत रखता है तो शारीरिक संबंध बनाने से उन्हें व्रत भंग का दोष लगेगा. साथ ही जो व्रत भंग कराता है, उसे भी पाप का भागीदार बनना पड़ता है. इसलिए नवरात्रि व्रत के दौरान शरीर और मन को नियंत्रण में रखना जरूरी बताया गया है.
चैत्र नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा 9 रूपों में पृथ्वी पर पधारती हैं. सनातन धर्म में महिलाओं में देवी का स्वरूप देखने की परंपरा सदियों चली आ रही है. जिसका नर्वहन आज भी समाज में हो रहा है. चैत्र नवरात्रि के दौरान कुंवारी कन्याओं की पूजा होती है. इसके अलावा महिलाओं को सम्मान की नजर से देखा जाता है. मनुस्मृति में कहा गया है- “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः, यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः”. इस श्लोक का भावार्थ है कि जिस समाज, घर और परिवार में महिलाओं को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है, वहां देवी-देवता भी निवास करते हैं. वहीं, जहां स्त्रियों का सम्मान नहीं होता, वहां किए गए सारे कर्म निष्फल हो जाते हैं.
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