भारतीय सेना 90 वर्ष से भी अधिक समय से खेलों और ओलंपिक में अपना योगदान देती रही है. भारतीय सेना ने देश को कई ऐसे खिलाड़ी दिए हैं जिन्होंने देश का नाम पुरे विश्व में रोशन किया है. हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद, मिल्खा सिंह, राजवर्धन सिंह राठौर और नीरज चोपड़ा जैसे कई महान भारतीय एथलीट्स भारतीय सेना की ही देन हैं. पेरिस ओलंपिक-2024 में भी 117 खिलाड़ियों वाले भारतीय दल में 24 खिलाड़ी भारतीय सेना से थें.
पेरिस ओलंपिक-2024 में उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सेना के खिलाड़ियों को सम्मानित किया. पेरिस ओलंपिक में भारतीय दल ने छह पदक (एक रजत और पांच कांस्य) जीते हैं. इसमें भारतीय सेना के सूबेदार मेजर नीरज चोपड़ा ने भारत के लिए भाला फेंक में एकमात्र रजत पदक जीता. इस अनुकरणीय प्रदर्शन ने ओलंपिक खेलों में भारतीय थल सेना के सबसे उल्लेखनीय प्रदर्शनों में से एक के रूप में अपनी जगह बना ली है. भारतीय सेना कर्मियों के प्रदर्शन की मुख्य बातें इस प्रकार हैं कि सूबेदार मेजर नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक में रजत पदक जीता. वहीं, तीरंदाजी (रिकर्व) में सूबेदार बोम्मांडेवारा धीरज ने चौथा स्थान हासिल किया है.
थल सेना प्रमुख जनरल द्विवेदी ने खिलाड़ियों की अविश्वसनीय उपलब्धियों पर गर्व करते हुए कहा कि उनका अनुशासन, दृढ़ता और समर्पण भारतीय थल सेना के मूल मूल्यों का प्रतीक है. उनकी उपलब्धियों ने न केवल प्रशंसा अर्जित की है, बल्कि अनगिनत अन्य लोगों को खेल के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित भी किया है. भारतीय थल सेना राष्ट्र के लिए शक्ति, वीरता और अनुशासन का एक स्तंभ है. हमारी सीमाओं की रक्षा करने के अपने प्राथमिक मिशन से परे, थल सेना लगातार खेल सहित विभिन्न सामाजिक-सांस्कृतिक जुड़ावों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करती है, जो राष्ट्र निर्माण में समग्र रूप से योगदान देती है. थल सेना के खिलाड़ी उत्कृष्टता की अपनी खोज जारी रखेंगे तथा आने वाले दिनों में और अधिक ऊंचाइयों को छूएंगे.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक भारत 2036 के अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक की मेजबानी का दावा पेश करने की तैयारी कर रहा है, ऐसे में भारतीय थल सेना ओलंपिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, भारतीय थल सेना ने 2001 में अपने मिशन ओलंपिक विंग (MOW) की स्थापना की, जो खेल प्रतिभाओं की पहचान करने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए समर्पित है. युवाओं को और अधिक सशक्त बनाने और उन्हें वैश्विक उत्कृष्टता की ओर अग्रसर करने के लिए, भारतीय थल सेना ने दो गर्ल्स स्पोर्ट्स कंपनियां और 18 बॉयज़ स्पोर्ट्स कंपनियां स्थापित की हैं.
इन पहलों का उद्देश्य युवा एथलीटों को अपने कौशल को निखारने, अपने आत्मविश्वास का निर्माण करने और उच्चतम स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए एक मंच प्रदान करना है. पिछले दो दशक की ओलंपिक यात्रा में भारतीय थल सेना की कई उपलब्धियां रही हैं. 2004 एथेंस में कर्नल आर.वी.एस. राठौर को निशानेबाजी में रजत पदक मिला. 2012 लंदन में सब मेजर ऑनरी कैप्टन विजय कुमार को निशानेबाजी में रजत पदक मिला. 2020 टोक्यो में मेजर नीरज चोपड़ा को भाला फेंक में स्वर्ण पदक मिला. 2024 पेरिस में नीरज चोपड़ा को भाला फेंक में रजत पदक मिला.
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि पेरिस ओलंपिक के दौरान भारतीय दल में भारतीय थल सेना का प्रतिनिधित्व 11.11 प्रतिशत था, यानि 117 खिलाड़ियों के दल में से 13 खिलाड़ी भारतीय थल सेना से थें. भारतीय थल सेना के खिलाड़ियों ने कुल पदक तालिका में 16.66 प्रतिशत का योगदान दिया, इसमें एक रजत पदक शामिल है. पुरुषों की स्पर्धाओं में भारतीय थल सेना का प्रतिनिधित्व 18.2 प्रतिशत था, जिसका मतलब है कि भारतीय दल के 66 पुरुष खिलाड़ियों में से 12 थल सेना से थें. पेरिस 2024 ओलंपिक में भारतीय थल सेना ने मुक्केबाजी में अपनी पहली महिला खिलाड़ी हवलदार जैस्मीन को मैदान में उतारा.
एशियाई खेल 2023 के दौरान भी भारतीय थल सेना के एथलीटों ने 3 स्वर्ण, 7 रजत और 10 कांस्य सहित कुल 20 पदक जीते थें.
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-भारत एक्सप्रेस
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