बिहार में शराबियों और शराब कारोबारियों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार हरसंभव प्रयास करती रही है. इसी बीच, सरकार अब शराबियों की पहचान करने के लिए आधार कार्ड की मदद लेने जा रही है. मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के अधिकारियों की मानें तो शराब पीकर पकड़े जाने वाले लोगों की आधार से पहचान सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक जिले के मद्यनिषेध कार्यालयों में आधार प्रमाणीकरण केंद्र खोलने की योजना बनाई जा रही है.
राज्य सरकार ने इसके लिए पहले से ही भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण को पत्र लिखा है. वहीं प्राधिकरण द्वारा अब इसकी मंजूरी भी दे दी गई है. अधिकारियों का कहना है कि अगर सब कुछ सामान्य रहा तो दिसंबर से यह व्यवस्था लागू की जा सकती है. इसके बाद शराबियों के आधार सत्यापन का काम शुरू कर दिया जाएगा.
इस पर सरकार का मानना है कि किसी भी जिले में पहली बार शराब पीते पकड़े जाने पर जुर्माना भर कर शराबी छूट जाते हैं. दूसरे जिले में पकड़े जाने पर इनकी पहचान का पता नहीं चल पाता है. विभाग के आंकड़े की मानें तो, पिछले सात महीनों में राज्य में करीब 90 हजार से अधिक लोग पकड़े गए थे. जिन्हें जुर्माना लेकर छोड़ा दिया गया है. इस मामले में विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि अब शराब पीने, बेचने या कारोबार करने के आरोप में गिरफ्तार सभी अभियुक्तों की पहचान का आधार डेटाबेस बना कर सुरक्षित रखा जायेगा.
उन्होंने कहा कि इसको लेकर 20 दिनों के अंदर सभी मद्यनिषेध अधीक्षक कार्यालयों में आधार प्रमाणीकरण केंद्र की व्यवस्था सुनिश्चित हो जाएगी. इससे बिहार में दूसरी बार शराब पीकर पकड़े जाने वाले आरोपित सजा से बच नहीं पाएंगे. विभाग का कहना है कि शराबियों का सत्यापन पहले ठीक ढंग से नहीं हो पाता था. सत्यापन सही ढंग से नहीं होने पर वे शराबी बच निकलते थे. लेकिन डेटाबेस होने के बाद इनकी पहचान निश्चित हो जाएगी.
-भारत एक्सप्रेस
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