केंद्र सरकार ने एक जनवरी 2025 से 31 मार्च 2025 तक की तिमाही के लिए सामान्य भविष्य निधि (GPF) पर ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग द्वारा जारी ताजा आदेश में कहा गया है कि इस तिमाही में भी GPF की ब्याज दर 7.1 फीसदी ही रहेगी. इससे पहले अक्टूबर 2024 से दिसंबर 2024 की तिमाही में भी ब्याज दर 7.1 फीसदी ही रही थी.
केंद्र सरकार की इस घोषणा से केंद्रीय कर्मचारियों को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि पिछले छह सालों से GPF पर ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. वित्त मंत्रालय ने पिछले सप्ताह इस तिमाही के लिए ब्याज दर की घोषणा की थी, लेकिन कर्मचारियों को जो उम्मीद थी, वह पूरी नहीं हुई.
वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग ने ‘एक अक्टूबर से 31 दिसम्बर’ तक की तिमाही के दौरान भी GPF की ब्याज दर 7.1 फीसदी तय की थी. नए साल में केंद्रीय कर्मचारियों को उम्मीद थी कि सरकार GPF की ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेगी, लेकिन सरकार ने ब्याज दरों में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया है.
कोरोना महामारी के दौरान, जब महंगाई भत्ता भी स्थगित था, तब भी GPF पर ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया गया. 2021 में, कोरोना की दूसरी लहर के बीच GPF पर ब्याज दर 7.1 फीसदी बनी रही थी, जिसे कई केंद्रीय कर्मचारी आशा कर रहे थे कि सरकार बढ़ाएगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.
GPF की ब्याज दर केंद्रीय कर्मचारियों के अलावा कई अन्य विभागों में लागू होती है. इनमें अंशदायी भविष्य निधि (भारत), अखिल भारतीय सेवा भविष्य निधि, राज्य रेलवे भविष्य निधि (रक्षा सेवाएं), भारतीय आयुद्ध विभाग भविष्य निधि, भारतीय आयुद्ध कारखाना कामगार भविष्य निधि, भारतीय नौसेना गोदी कामगार भविष्य निधि, रक्षा सेवा अधिकारी भविष्य निधि, और सशस्त्र सेना कार्मिक भविष्य निधि शामिल हैं.
केंद्र सरकार ने तीन वर्ष पहले एक महत्वपूर्ण बदलाव किया था, जिसके अनुसार GPF में वार्षिक योगदान की सीमा 5 लाख रुपये तय कर दी गई है. अब कोई भी कर्मचारी एक वित्त वर्ष में 5 लाख रुपये से अधिक राशि GPF में जमा नहीं कर सकता है.
कर्मचारी GPF से 90 प्रतिशत तक राशि निकाल सकते हैं, हालांकि इसके लिए कुछ शर्तें होती हैं. यह राशि मुख्य रूप से कर्मचारियों की शैक्षिक जरूरतों, विवाह, घर बनाने, भूमि खरीदने, मकान मरम्मत, या घर के कर्ज चुकाने के लिए उपयोग की जा सकती है.
जीपीएफ में अधिक राशि जमा करने से कर्मचारियों को बैंकों की तुलना में अधिक ब्याज मिलता है, जिसके कारण कई कर्मचारी इसका लाभ उठाते हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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