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भारत-अमेरिका के बीच 5 अहम रक्षा समझौते, सुपर पॉवर बनने की दिशा में भारत

Deals Between India-USA: पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा कई मायनों में बेहद खास मानी जा रही है. वैश्विक मंच पर भारत का तेजी से उभार और चीन के बढ़ते प्रभुत्व को देखते हुए पीएम के इस दौरे पर कई मुद्दों के समाधान की दिशा में आगे बढ़ने की संभावना है. वहीं आज शुक्रवार (23 जून) को पीएम मोदी ने राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ द्विपक्षीय बातचीत की. जहां दोनों नेताओं के बीच कई अहम मुद्दों पर बात हुई, वहीं पांच समझौतों पर दोनो देशों के नेता अपनी सहमति जताते हुए आगे बढ़ने पर राजी हुए.

इन क्षेत्रों में आगे बढ़ने पर बनी समहति

भारत और अमेरिका के बीच हुई वार्ता में जिन मुद्दों पर सहमति बनी उनके बारे में बताते हुए दोनों नेताओं ने अपने संयुक्त संबोधन में आर्थिक सहयोग, रक्षा, कृषि और इंटेलिजेंस ट्रांसफर जैसे मुद्दों पर आगे बढ़ने की बात स्वीकारी.

इनमें से भारत और अमेरिका के बीच रक्षा क्षेत्र में हुई डील बेहद अहम मानी जा रही है. वहीं इस क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए दोनों देशों के नेताओं ने 5 बड़े समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं. कहा जा रहा है कि इन समझौतों के चलते आगामी कुछ समय में भारत-अमेरिका एक दूसरे के सहयोगी बन जाएंगे.

जानें वे 5 खास समझौते

भारत और अमेरिका दोनों देशों के बीच हुए समझौते में पहला समझौता भारत में निर्मित स्वदेशी विमान तेजस के लिए सेंकेड जनरेशन जीई-414 जेट इंजन का निर्माण करना है. दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने पहले इस पर ही दस्तखत किए हैं. इस समझौते के अनुसार अमेरिका भारत की विमानन पार्ट उत्पादन कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को तकनीक ट्रांसफर करेगी. इसके अलावा वह यहां बनने वाले इन जेट इंजन के निर्माण में मदद करेगी.

वहीं दूसरा जो सबसे खास समझौता है उसके अनुसार, M-777 लाइट होवित्जर तोपों को अपग्रेड करने पर दोनों देश काम करेंगे. हालांकि तोपों के निर्माण की जगह को लेकर कोई जानकारी नहीं प्राप्त हुई है. वहीं रक्षा से ही जुड़े तीसरे समझौते के अनुसार दोनों देश स्ट्राइकर बख्तरबंद वाहनों का संयुक्त उत्पादन करेंगे. इनमें से अधिकतर का उत्पादन भारत में किए जाने की संभावना है.

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इसके अलावा चौथे समझौते के अनुसार, भारत को अमेरिकी प्रीडेटर ड्रोन दिए जाएंगे. इनका उपयोग भारत की सुरक्षा एजेंसियां सैन्य अभियानों में कर सकेंगी. वहीं इन ड्रोन के उत्पादन का तकनीकि ट्रांसफर भी भारत के साथ किया जाएगा. पांचवे सबसे अहम समझौते के मुताबिक दूर तक मार करने वाली अमेरिका की बम मिसाइल का उत्पादन भी भारत में होगा.

Rohit Rai

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