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“मेरा बच्चा दिला दो”- पाकिस्तान से जैसे-तैसे भागकर आई मां ने सुनाई आपबीती

Pakistan News: नाबालिग हिंदू बच्चियों को अगवा करने, जबर्दस्ती निकाह और धर्मांतरण करने की खबरें पाकिस्तान से सामने आती ही रहती हैं. पड़ोसी मुल्क में अल्पसंख्यकों खासकर हिंदुओं के साथ होने वाली प्रताड़ना छिपी नहीं है. इस प्रताड़ना से जान बचाकर आए हिंदू भारत के अलग-अलग हिस्सों में शरणार्थी बनकर रह रहे हैं. लेकिन यहां भी इन्हें प्रशासन से सहारा नहीं मिल रहा. बता दें कि जैसलमेर जिला मुख्यालय से 4 किलो मीटर दूर अमरसागर ग्राम पंचायत क्षेत्र में कच्ची बस्ती में रहने वाले पाकिस्तान के हिंदू शरणार्थियों के घरों को जिला प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया है. राजस्थान सरकार के इस कार्रवाई से हिन्दू प्रवासियों का घर ठिकाना तबाह हो गया है. पीड़ितों ने दावा किया है कि राजस्थान सरकार ने उन्हें सरकारी जमीन से बेदखल करने का आदेश दिया था. यूं तो देश में हिंदू हिंदुत्व के तथाकथित रक्षक कई संगठन हैं. देश में रोजाना हिंदुत्व को लेकर डिबेट शो किए जाते हैं. लेकिन इन हिन्दुओं का सहारा कौन? जो आज दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं.

भारत में आश्रय ढूंढ रहे हैं पाकिस्तान से आए शरणार्थी

राजस्थान सरकार की कार्रवाई से बेघर हुए शरणार्थी हिंन्दू आज भारत जैसे देश में आश्रय ढूंढ रहे हैं. राजस्थान के जिन इलाकों में पाकिस्तान से आए शरणार्थी बसे हुए हैं, वो काले पत्थर की पहाड़ी से घिरी हुई है. सालों पहले यहां माइनिंग का काम होता था, लेकिन अब नहीं होता. लोगों ने ईंट पत्थर जोड़कर अपना आशियाना बनाया था जो अब तबाह हो चुका है. यहां लोगों ने एक मंदिर भी बनाया था. लेकिन घरों के साथ-साथ जोधपुर जिला प्रशासन ने मंदिर को भी तोड़ दिया.

घर के साथ-साथ टूटा शरणार्थियों का सपना

जब 24 अप्रैल को जोधपुर जिला प्रशासन ने पूरी की पूरी बस्ती तोड़ने का आदेश दिया. प्रशासन ने कहा ये अवैध लोगों का अवैध कब्जा था. कार्रवाई के बाद लोगों के घर टूटे और साथ ही टूटा सपना. जोधपुर प्रशासन की कार्रवाई के बाद पीड़ितों ने कहा कि पाकिस्तान में भी आश्रय नहीं और हिंदुस्तान में भी नहीं. इन्हीं पीड़ितों में शामिल एक मां ने अपनी आपबीती आज तक को बताई है:

आज तक के मुताबिक़, पीड़िता पूनम ने कहा,”पेट से थी मैं, जब वीजा लगा. पति बाहरी काम निबटाके रात में ही निकलने वाले थे. तभी दर्द उठा. 4 साल के बेटे को पाकिस्तान में छोड़कर आना पड़ा. रात में जब सोती हूं तो गीली छाती से कपड़ा ऐसे चिपकता है जैसे छूटा बेटा चिपका हो. अपने बच्चे से बिछड़ी मां का कहना है कि मुझे बच्चा दिला दो.”

ये कहानी है पूनम की. पूनम के घर को भी तोड़ दिया गया है. पूनम का घर चादरों से बना हुआ था. घर पर छत भी नहीं था, सिर्फ गत्ते लगे थे. लेकिन प्रशासन को दया नहीं आई. दहकते हुए काले पत्थरों के बीच अपना आशियाना ढूंढते हुए पूनम कहती हैं,

“हम पाकिस्तान से कब का सबकुछ बेच बूच कर आना चाहते थे. वो पेट में आया. दो बार हमने कोशिश भी की. इस बार हमने जल्दी जल्दी सामान बांध लिए. तभी डिलेवरी हो गया. सिर्फ चार दिन ही उसे दूध पिला पाई. फिर यहां आ गई.”

इन्हीं यादों के साथ आज पूनम जैसी कई पीड़ितों की कहानी राजस्थान से निकल कर सामने आ रही है. सवाल ये है कि हिन्दुत्व को गाने-बजाने वाले देश भारत में भी हिंदुओं के साथ ऐसा व्यवहार क्यों?

-भारत एक्सप्रेस

Rakesh Kumar

Sr. Sub-Editor

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