ग्लोबल लेबर मार्केट कॉन्फ्रेंस (GLMC) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत तकनीकी अनुकूलन में वैश्विक नेता के रूप में उभर रहा है, जिसमें 70 प्रतिशत से अधिक भारतीय पेशेवर सक्रिय रूप से कौशल बढ़ाने के अवसरों की तलाश कर रहे हैं. GLMC कार्यबल विकास और लेबर मार्केट इंसाइट के लिए एक अग्रणी वैश्विक मंच है.
रिपोर्ट नेविगेटिंग टुमॉरो: मास्टरिंग स्किल्स इन ए डायनेमिक ग्लोबल लेबर मार्केट (Navigating Tomorrow: Mastering Skills In A Dynamic Global Market), AI और ऑटोमेशन के प्रति वैश्विक दक्षिण की प्रतिक्रिया में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है, जिसमें देश के श्रमिकों को कौशल विकास और तकनीकी अनुकूलन में अग्रणी के रूप में दिखाया गया है. रिपोर्ट भारत के जॉब मार्केट की गतिशील प्रकृति के बारे में बात करती है, जहां AI , मशीन लर्निंग और ऑटोमेशन अभिन्न अंग बन रहे हैं.
रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि तकनीकी प्रगति के कारण रिस्किल की आवश्यकता भारतीय लेबरों के बीच एक सामूहिक चिंता है, जिसमें 55 प्रतिशत को डर है कि अगले पांच वर्षों में उनके कौशल आंशिक रूप से या पूरी तरह से इस्तेमाल के लायक नहीं रहेंगे. इससे भारत वैश्विक प्रवृत्ति के अनुरूप हो जाता है, जहां ब्राजील में 61 प्रतिशत और चीन में 60 प्रतिशत लोगों ने इसी तरह की चिंताएं व्यक्त की हैं, जबकि U.K (44 प्रतिशत) और ऑस्ट्रेलिया (43 प्रतिशत) जैसे विकसित बाजारों में यह स्तर कम है.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन प्रमुख क्षेत्रों में कौशल विकास में वृद्धि के कारणों में से एक है. भारत में स्किल डेवलपमेंट या रिस्किलिंग के लिए जलवायु परिवर्तन एक अधिक महत्वपूर्ण चालक है, जहां 32 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इसे अगले पांच वर्षों में अपने रिस्किलिंग निर्णयों को प्रभावित करने वाले कारक के रूप में पहचाना है. यह चीन (41 प्रतिशत) और वियतनाम (36 प्रतिशत) जैसे देशों के साथ मेल खा रहे हैं, लेकिन U.K (14 प्रतिशत) और अमेरिका (18 प्रतिशत) जैसे देशों के विपरीत है, जहां जलवायु परिवर्तन का कौशल विकास प्राथमिकताओं पर तुलनात्मक रूप से कम प्रभाव पड़ता है
रिपोर्ट में शामिल देशों में चीन (36 प्रतिशत) और भारत (28 प्रतिशत) के उत्तरदाताओं में असंतोष सबसे अधिक था. लगभग 19 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने महसूस किया कि वर्तमान एकैडमिक सिस्टम नए स्किल के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रहा है. यह विचार विशेष रूप से युवा आयु समूहों (18-34) के 21 प्रतिशत लोगों और सबसे अधिक शिक्षित लोगों के उच्च अनुपात में साझा किया गया, जिसमें 20 प्रतिशत ग्रैजुएट और 24 प्रतिशत मास्टर/पीएचडी वाले शामिल हैं.
अपस्किलिंग या रीस्किलिंग में बाधाएं वैश्विक स्तर पर लगातार बनी हुई हैं, भारतीय उत्तरदाताओं ने समय की कमी (40 प्रतिशत) और वित्तीय बाधाओं (38 प्रतिशत) को प्राथमिक चुनौतियों के रूप में बताया है. इसी तरह के पैटर्न ब्राजील में देखे जाते हैं, जहां 43 प्रतिशत समय की कमी और 39 प्रतिशत वित्तीय बाधाओं की रिपोर्ट करते हैं, और दक्षिण अफ़्रीका में, जहाँ क्रमोशः 45 प्रतिशत और 42 प्रतिशत इन बाधाओं का हवाला देते हैं.
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-भारत एक्सप्रेस
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