कुछ दिनों पहले ईरान की राजधानी तेहरान के एक विश्वविद्यालय में हिजाब के विरोध में एक ईरानी महिला (Iranian Women) ने कपड़े उतार कर बिकनी में प्रदर्शन किया, जिसके बाद उसे हिरासत में ले लिया गया था. ईरान ने अब महिला को उसके परिवार को सौंप दिया है. ईरानी अधिकारियों का कहा है कि उसे आरोपों का सामना नहीं करना पड़ेगा.
ईरानी न्यायपालिका के एक प्रवक्ता ने कहा कि महिला का अस्पताल में इलाज किया गया और उसे उसके परिवार को सौंप दिया गया. न्यायालय के प्रवक्ता असगर जहांगीर ने मंगलवार (19 नवंबर) को कहा, “चूंकि उसे अस्पताल भेजा गया था, और यह पाया गया कि वह मानसिक तौर पर बीमार थी, इसलिए उसे उसके परिवार को सौंप दिया गया और उसके खिलाफ कोई न्यायिक मामला दर्ज नहीं किया गया है.”
बता दें कि बीते 2 नवंबर को राजधानी तेहरान के आजाद विश्वविद्यालय परिसर में आहू दरयाई (Ahoo Daryaei) नाम की महिला ने अपने कपड़े उतार कर प्रदर्शन किया था. घटना से संबंधित एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें महिला को जबरन हिरासत में लिए जाने से पहले विश्वविद्यालय परिसर में कपड़े उतारते हुए देखा गया था. उसकी हिरासत की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा की गई थी. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बिना शर्त उसकी तत्काल रिहाई की मांग की थी.
एक छात्र आंदोलन संगठन ने सबसे पहले गिरफ्तारी का वीडियो प्रकाशित किया, जिसमें बताया गया कि दरयाई के सर पर स्कार्फ न पहनने को लेकर सुरक्षा एजेंटों के साथ विवाद हुआ, जिसके कारण हाथापाई के दौरान उसने अपने कपड़े उतार दिए. उस समय ईरानी अधिकारियों ने कहा था कि दरयाई “बीमार” थीं और उन्हें मनोरोग वार्ड में ले जाया गया था. यह पहली बार नहीं है जब ईरानी अधिकारियों ने अनिवार्य हिजाब कानून का विरोध करने वाली महिला को मानसिक बीमारी से पीड़ित बताया है.
2018 में ईरान (Iran) से कनाडा भाग गई आजम जंगरावी नाम की एक महिला ने कहा कि उसके परिवार पर ईरानी शासन द्वारा उसे मानसिक रूप से बीमार घोषित करने का दबाव डाला गया था.
महिला ने कहा, “मेरे परिवार ने ऐसा नहीं किया, लेकिन दबाव में कई परिवार ऐसा करते हैं, यह सोचकर कि यह उनके प्रियजनों की रक्षा करने का सबसे अच्छा तरीका है. इस तरह से इस्लामिक रिपब्लिक महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर सवाल उठाकर उन्हें बदनाम करने की कोशिश करता है.” आजम जंगरावी विरोध प्रदर्शन के दौरान अपना सिर ढकने के लिए तीन साल की जेल की सजा सुनाए जाने के बाद भाग गई थी.
1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान में महिलाओं के लिए अपने बालों को ढंकना और शालीन कपड़े पहनना अनिवार्य हो गया. दो साल पहले, कुर्द महिला महसा अमिनी की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी, क्योंकि उसे हिजाब ठीक से नहीं पहनने के कारण हिरासत में लिया गया था. उसकी मौत के बाद कई महीनों तक देश भर में हुए विरोध प्रदर्शनों में कथित तौर पर 500 से अधिक लोग मारे गए थे.
-भारत एक्सप्रेस
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