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अमेरिका ने कहा- ‘हम यूक्रेन के साथ हैं’; G7 Summit में बाइडेन और ज़ेलेंस्की सुरक्षा समझौते पर करेंगे हस्ताक्षर

G7 Summit: गुरुवार को इटली में जी7 शिखर सम्मेलन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की अमेरिका और यूक्रेन के बीच द्विपक्षीय सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे.

बुधवार को इटली जाने से पहले बाइडेन के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर जेक सुलिवन ने इस समझौते की घोषणा की है. इटली जी7 के दो दिवसीय शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है.

15 देश पहले ही कर चुके हैं समझौते

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 15 देश पहले ही यूक्रेन के साथ इसी तरह के सुरक्षा समझौते कर चुके हैं, जिनमें ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी शामिल हैं. सुलिवन ने कहा कि यूक्रेन के साथ बाइडेन प्रशासन की बातचीत अब अंतिम रूप ले चुकी है. उन्होंने ये नहीं बताया कि समझौते में क्या है लेकिन इतना जरूर कहा कि यह दोनों देशों के साथ मिलकर काम करने के तरीके के लिए एक “ढांचा” है.


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अमेरिका यूक्रेन के साथ है

सुलिवन ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि इस समझौते में यूक्रेन में अमेरिकी सैनिकों की तैनाती की बाध्यता शामिल नहीं होगी. इसके अलावा उन्होंने ये भी कहा कि “हम केवल ये दिखाना चाहते हैं कि अमेरिका यूक्रेन के लोगों के साथ है, उनकी सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करना जारी रखेगा भविष्य में भी.”

ह्वाइट हाउस यूक्रेन को देगा स्थायी समर्थन

इसके अलावा सुलिवन ने ये भी संकेत दिए हैं कि समझौते में कहा जाएगा किह्वाइट हाउस यूक्रेन को स्थायी समर्थन देने का तरीका खोजने के लिए अमेरिकी कांग्रेस के साथ काम करेगा. अमेरिका ने कहा है कि वह यूक्रेन पर रूस से जुड़े 300 से अधिक व्यक्तियों और संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा रहा है, जिनमें वित्तीय संस्थान, मॉस्को स्टॉक एक्सचेंज और चीनी कंपनियां शामिल हैं.

सुलिवन ने जताई चिंता

सुलिवन ने चिंता जताते हुए कहा कि “चीन की ओर से रूस में किया जा रहा मिलिट्री निर्यात चिंता का विषय है. अमेरिका अब उन चीनी कंपनियों पर भी प्रतिबंध लगा रहा है, जो रूस को हथियार सप्लाई करती हैं.” इसके अलावा, एशिया, मिडिल ईस्ट, यूरोप, अफ्रीका और कैरिबियन के अन्य देशों में व्यक्ति और संगठन पर भी प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं जो रूस की मदद करते हैं.

अलग-थलग हो गया है रूस

अमेरिकी ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन ने कहा कि रूस अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली से अलग-थलग हो गया है, जिससे रूस की सेना की बाहरी दुनिया तक पहुंच नहीं के बराबर है. इसके अलावा कई रूसी बैंकों के विदेशी ठिकानों को भी ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है ताकि वित्तीय लेनदेन मुश्किल हो जाए. अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने कहा कि वह रूस और चीन के अलावा कई देशों में दर्जनों व्यक्तियों और संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाकर सैन्य आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित करने का प्रयास किया जा रहा है.

-भारत एक्सप्रेस

Archana Sharma

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