भारत के सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड को नेपाल में दूसरी जलविद्युत परियोजना विकसित करने की अनुमति मिल गई है. इस समय भारत सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी 900 मेगावाट की अरुण-3 जलविद्युत परियोजना विकसित कर रही है, जो 2024 तक निर्माण कार्य पूरा करने जा रही है.
अब निवेश बोर्ड नेपाल ने रविवार को पूर्वी नेपाल में 669 मेगावाट (मेगावाट) लोअर अरुण जलविद्युत परियोजना को विकसित करने के लिए भारत सरकार के स्वामित्व वाले एसजेवीएन के साथ हस्ताक्षर किए जाने वाले परियोजना विकास समझौते (पीडीए) के मसौदे को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. कैबिनेट की बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने की.
एसजेवीएन-अरुण-3 पावर डेवलपमेंट कंपनी (एसएपीडीसी), भारत के सतलुज जल विद्युत निगम (एसजेवीएन) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी, बिल्ड-ओन-ऑपरेट-ट्रांसफर (बीओओटी) के आधार पर परियोजना का विकास कर रही है। एसवीजेएन भारत सरकार और हिमाचल प्रदेश सरकार के बीच एक संयुक्त उद्यम है.
एसएपीडीसी नेपाल सरकार को स्वामित्व हस्तांतरित करने से पहले पांच साल की निर्माण अवधि को छोड़कर 25 साल की अवधि के लिए सुविधा का संचालन करेगी. इन शुरुआती 25 वर्षो के वाणिज्यिक संचालन के दौरान नेपाल को बिजली संयंत्र में उत्पादित बिजली का 21.9 प्रतिशत मुफ्त बिजली के रूप में प्राप्त होगा. एसजेवीएन को दूसरी परियोजना देने का घटनाक्रम नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल की 31 मई से 3 जून तक की भारत यात्रा से कुछ दिन पहले आया है. एक बयान में कहा गया है कि दहल की अध्यक्षता में आईबीएन की 54वीं बोर्ड बैठक में रविवार को मसौदे को मंजूरी दी गई.
14 अप्रैल को आईबीएन की 53वीं बैठक में परियोजना के विकास के लिए एसजेवीएन द्वारा प्रस्तावित 92.68 अरब रुपये के निवेश को मंजूरी दी गई. यह परियोजना संखुवासभा और भोजपुर जिलों में स्थित है. लोअर अरुण परियोजना में कोई जलाशय या बांध नहीं होगा और यह अरुण-3 का विकास होगा, जिसका मतलब है कि पानी लोअर अरुण परियोजना के लिए नदी में फिर से प्रवेश करेगा.
-आईएएनएस
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