Ukraine: यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध जारी है. इसमें दोनों देशों को भारी तबाही और नुकसान का सामना करना पड़ा है. हजारों की संख्या में सैनिकों व लोगों की जान जा चुकी है. वहीं, इस बीच यूक्रेन उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन(NATO) में शामिल होने के लिए तैयार है. मालूम हो कि लिथुआनिया की राजधानी विलनियस में मंगलवार से नाटो का दो दिवसीय शिखर सम्मेलन शुरू होने जा रहा है. इसके पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा है कि कीव भी आधिकारिक रूप से अब नाटो में शामिल होना चाहता है.
वोलोदिमीर जेलेंस्की जो यूक्रेन के राष्ट्रपति हैं उन्होंने यह साफ कह दिया है कि यूक्रेन का नाटो में शामिल होना तय है. मंगलवार को नाटो का शिखर सम्मेलन शुरू होने से पहले वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन नाटो में शामिल होना चाहता है. उन्होंने आगे कहा,”इसकी पुष्टि के लिए हम अब घोषणा पर काम कर रहे हैं लेकिन यह तय है कि यूक्रेन नाटो में शामिल होगा.” वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन अभी भी अप्रत्यक्ष रूप से नाटो का हिस्सा है. वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, वोलोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात करेंगे. हालांकि, बाइडेन ने यूक्रेन को नाटो में शामिल होने पर अभी कोई स्पष्टता नहीं दिखाई है लेकिन उन्होंने यह जरूर कहा है कि अमेरिका और सहयोगी देश यूक्रेन की सेना को रूस के साथ युद्ध में आवश्यक सुरक्षा और हथियार देना जारी रखेंगे.
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नाटो का शिखर सम्मेलन होने वाला है. बताया गया कि इस बैठक में यूक्रेन-रूस युद्ध पर गहरी चर्चा होगी. इस शिखर सम्मेलन में रूस-यूक्रेन युद्ध को केंद्र में रखा गया है. वहीं, यूक्रेन को नाटो में शामिल होने के लिए इस संगठन के 31 देशों ने पहले ही समर्थन दे दिया है. इन देशों का कहना है कि वे कीव को लंबे समय के लिए समर्थन देने के लिए तैयार हैं.
उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन(NATO) में अमेरिका समेत कई देश शामिल हैं. इनके नाम इस प्रकार से हैं- ब्रिटेन, अमेरिका, तुर्किए, बेल्जियम, अल्बानिया, कनाडा, बुल्गारिया, ओटावा, डेनमार्क, क्रोएशिया, जर्मनी, चेक रिपब्लिक, एस्तोनिया, फ्रांस, डेनमार्क, हंगरी, यूनान, लातविया, आइसलैंड, इटली, पुर्तगाल, लिथुआनिया, रोमानिया, लक्जमबर्ग, रोमानिया, नीदरलैंड, स्लोवाकिया, उत्तर मैसेडोनिया, मोंटेनेग्रो, नॉर्वे, पोलैंड, स्पेन, फिनलैंड और स्लोवेनिया.
नाटो का एक नियम है कि अगर इनमें से कोई भी सदस्य देश किसी भी परेशानी और युद्ध में फंसता है तो इस संगठन के सारे सदस्य देश मिलकर उसकी मदद करते हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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