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खुदाई के दौरान जमीन से निकली थी श्रीकृष्ण की मूर्ति, महाभारत काल से जुड़ा है इसका इतिहास, इस तरह मनाई जा रही जन्माष्टमी

Baghpat: मंदिर के इतिहास के बारे में बताया गया कि यह वही स्थान है, जहां बर्बरीक ने अपने एक तीर से पीपल के पेड़ के सब पत्ते श्री कृष्ण के कहने पर बिंद्ध दिए थे और इसी मंदिर के समीप एक कुंड है जिसमें बर्बरीक का घोड़ा समा गया था.

इसी जल कुंड में समाया था बर्बरीक की घोड़ा और जमीन से निकली श्याम मूर्ती

– कुलदीप पंडित

Krishna Janmashtami-2023: आज उत्तर प्रदेश के सभी प्रमुख मंदिरों में कान्हा का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है. मथुरा से लेकर प्रदेश के हर छोटे बड़े मंदिर की सजावट देखते ही बन रही है तो वहीं भजन व कान्हा की महिमा से गूंज रहे गीत भक्तों को मंत्रमुग्ध कर रहे हैं. इस मौके पर पुलिस लाइन और जेलों में भी कान्ही की झांकी सजाई गई है तो वहीं प्रदेश के बागपत जिले में महाभारत काल से जुडे़ श्याम मंदिर की छटा अलग ही दिखाई दे रही है. यहां श्याम को सजाने के लिए विदेश से फूल मंगाए गए हैं तो वहीं प्राचीन इतिहास होने के कारण सुबह से ही मंदिर में भक्तों का तांता लगा हुआ है.

उत्तर प्रदेश के बागपत में एक ऐसा श्याम मंदिर है. जहां जमीन की खुदाई में मूर्ति मिलने के बाद मंदिर की स्थापना की गई. ग्राम प्रधान राहुल कुमार बताते हैं कि, इस श्याम मंदिर की गाथा महाभारत काल से जुड़ी है. इस मंदिर के इतिहास के बारे में बताया गया कि यह वही स्थान है, जहां बर्बरीक ने अपने एक तीर से पीपल के पेड़ के सब पत्ते श्री कृष्ण के कहने पर बिंद्ध दिए थे और इसी मंदिर के समीप एक पानी से भरा कुंड है जिसमें बर्बरीक का घोड़ा समा गया था. मान्यता है कि, यह धाम भक्तों की आस्था का बड़ा केंद्र बना हुआ है. जन्माष्टमी के अवसर पर मंदिर को विदेशी फूलों से सजाया जाता है और कान्हा की लीलाओं को लेकर झांकी सजाई जाती है.

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संत को आया था सपना

ग्रामीण आरती मान बताती हैं कि, मान्यता है कि, हजारों वर्ष पूर्व एक संत को सपने में श्री कृष्ण ने दर्शन दिए और बताया कि जहां पर तुम सो रहे हो वहीं पर जमीन के नीचे एक मूर्ति दबी हुई है. उस मूर्ति को बाहर निकाल कर मंदिर की स्थापना कर दो. इस पर संत ने दिन निकलते ही स्थानीय लोगों को इसकी जानकारी दी और खुदाई शुरू कर दी. इस पर खुदाई के कुछ देर बाद ही राधा रूप में श्री कृष्ण की मूर्ति स्थानीय लोगों को मिली. इस पर स्थानीय लोगों ने मूर्ति को बैलगाड़ी में रख दिया ओर जहां तक बैल इस मूर्ति को लेकर पहुंचे और जहां रुका वहीं पर इस मंदिर की स्थापना कर दी गई. फिलहाल यह मंदिर आदर्श नागला गांव में स्थापित है और मंदिर के बराबर में ही एक कुंड है, जो लोगों की आस्था का बड़ा केंद्र है. देश के प्रत्येक कोने कोने से बाबा श्याम की प्रतिमा के दर्शन करने पहुंचते हैं और अपने उज्ज्वल भविष्य की मन्नते मांगते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि जो भी यहा सच्चे मन से प्रार्थना करता है, बाबा श्याम उसकी सभी मनोकामना पूरी करते हैं.

-भारत एक्सप्रेस

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