World Cup: भारत में 5 अक्टूबर से वर्ल्ड कप 2023 टूर्नामेंट खेला जा रहा है. अब तक 15 मैच खेले जा चुके हैं. सोमवार को 14वां मैच श्रीलंका और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला गया. जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने पहली जीत दर्ज की. इस मैच के दौरान टीम इंडिया के पूर्व दिग्गज क्रिकेटर हरभजन सिंह ने 2003 वर्ल्ड कप फाइनल की एक कहानी सुनाई.
भज्जी ने सुनाई 2003 विश्व कप की कहानी
ऑस्ट्रेलिया-श्रीलंका मैच की कमेंट्री करते हुए हरभजन सिंह ने विश्व कप 2003 की कहानी सुनाई. इस दौरान उनका दर्द भी छलक उठा. क्योंकि 2003 वर्ल्ड कप के फाइनल में भारत को ऑस्ट्रेलिया से शिकस्त मिली थी. भज्जी का कहना था कि उस समय अगर डीआरएस रहता तो शायद मैच का परिणाम भारत के पक्ष में होता.
फाइनल में 125 रन से भारत को मिली थी हार
बता दें कि 2003 के वर्ल्ड कप फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने भारत के खिलाफ 125 रनों से जीत दर्ज कर खिताब अपने नाम किया था. उस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित 50 ओवर में 2 विकेट खोकर 359 रन बनाए थे. इस मैच में भारत की ओर से हरभजन सिंह ने दो विकेट लिये थे, इसके अलावा किसी भी भारतीय गेंदबाज को कोई विकेट नहीं मिला था. हरभजन उस मैच में सिर्फ आठ ओवर हीं गेंद फेंके थे.
रिकी पोंटिंग को मिला था जीवनदान
फाइनल मैच में ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज बल्लेबाज रिकी पोंटिंग ने 140 रन की पारी खेली थी. 40 रन के स्कोर पर उन्हें जीवनदान मिला था. दिनेश मोंगिया की गेंद पोंटिंग के पैड पर लगी थी, लेकिन अंपायर ने एलबीडब्ल्यू नहीं दिया था. हरभजन सिंह ने कहा कि अगर उस समय डीआरएस रहता तो माजरा कुछ और ही होता.
ऑस्ट्रेलिया ने बनाए थे 359 रन
ऑस्ट्रेलिया ने फाइनल मैच में तूफानी बल्लेबाजी की थी और 359 रन बना दिए थे. उसके जवाब में उतरी टीम इंडिया 39.2 ओवर में 234 रन पर ऑल आउट हो गई थी. वीरेंद्र सहवाग (82 रन) और राहुल द्रविड़ (47 रन) के अलावा कोई भी बल्लेबाज बड़ी पारी नहीं खेल पाए और मैच हाथ से निकल गया. इस मैच में हरभजन सिंह दो ओवर कम फेंके, इस बात का भी उन्हें अफसोस है.
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पोंटिंग को अंपायर ने दिया जीवनदान
हरभजन सिंह ने कहा कि, रिकी पोंटिंग 40 रन बनाकर खेल रहे थे. उसी समय दिनेश मोंगिया ओवर लेकर आए और उनकी गेंद पर पोटिंग को एलबीडब्ल्यू नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि गेंद बीच में लगी थी, मुझे नहीं लगता है कि गेंद स्टंप के ऊपर से निकलने वाली थी, गेंद मिडिल स्टंप पर लगता, वहां अगर फैसला भारत के पक्ष में होता तो चीजें बदल सकती थी. उन्होंने कहा कि अगर उस समय डीआरएस होता तो शायद हमारे लिए परिणाम बदल सकता था.