कमलनाथ और प्रियंका गांधी
Madhya Pradesh Elections 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए होने वाले मतदान से पहले, कांग्रेस, बीजेपी और अन्य दल प्रचार अभियान में जोर-शोर से जुटे हैं. लगभग सभी दलों ने अपने-अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. वहीं उम्मीदवारों के ऐलान के बाद बगावत की खबरें भी आ रही हैं जो राजनीतिक दलों की टेंशन को बढ़ाने का काम कर रही हैं. मध्य प्रदेश में वैसे देखा जाए तो मुख्य मुकाबला सत्ताधारी दल बीजेपी और विपक्षी दल कांग्रेस के बीच नजर आ रहा है. लेकिन कई सीटों पर बागियों ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. जबकि, बसपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के गठबंधन ने भी कांग्रेस को परेशान कर दिया है, क्योंकि कई सीटों पर ये गठबंधन निर्णायक साबित हो सकता है.
बागी उम्मीदवारों से परेशान कांग्रेस!
मध्य प्रदेश में कांग्रेस लगातार बागियों को मनाने की कोशिश कर रही है लेकिन कई दिनों की मशक्कत के बावजूद पार्टी बागी उम्मीदवारों को मनाने में सफल नहीं हो पाई है. नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि खत्म होने के बाद पार्टी ने ऐसे 39 नेताओं को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है. राजनीतिक पंडितों का मानना है कि ये बागी उम्मीदवार कांग्रेस की राह मुश्किल कर सकते हैं. दरअसल, बागियों के मैदान में उतरने के बाद कई सीटों पर लड़ाई त्रिकोणीय हो गई है और ऐसे में अगर बागी उम्मीदवार ठीक-ठाक वोट निकाल ले गए तो कांग्रेस को बड़ा झटका लग सकता है. दूसरी तरफ, इसका फायदा सीधे तौर पर बीजेपी को मिल सकता है. इस स्थिति से वाकिफ कांग्रेस की टेंशन बढ़ी हुई है.
बसपा-गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के गठबंधन ने बढ़ाई टेंशन
हालिया चुनावी सर्वे के बाद कांग्रेस एक तरफ जहां उत्साहित नजर आ रही है, वहीं गुटबाजी की खबरों ने भी आलाकमान को परेशान किया है. दूसरी तरफ, बागियों ने कांग्रेस की मुश्किलें और भी बढ़ा दी हैं. अगर कुछ सीटों पर बागी उम्मीदवार भारी पड़े तो कांग्रेस का सत्ता में वापसी का सपना चकनाचूर हो सकता है. मध्य प्रदेश में कांग्रेस अपने चुनाव प्रचार को आक्रामक तरीके से आगे बढ़ाने में जुटी हुई है. लेकिन बागियों की चुनौती के साथ-साथ बसपा-गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के गठबंधन ने इनकी टेंशन को बढ़ा रखा है. 2018 के विधानसभा चुनाव में गोंगपा ने सपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था और एक सीट जीती थी, लेकिन तब कांग्रेस को 20 सीटों का नुकसान हुआ था. वहीं अब बसपा के चुनाव मैदान में आने के बाद कई सीटों पर समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं.
राजनीतिक पंडितों की मानें तो एमपी विधानसभा चुनाव में इस बार करीब 60-70 सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है. वहीं पिछली बार की बात करें तो 2018 के चुनाव में करीब 55 सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला हुआ था. इनमें से ज्यादातर सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी. ऐसे में त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना वाली सीटों पर कांग्रेस अपने चुनाव प्रचार को आक्रामक बनाने की तैयारी कर रही है, ताकि उसका मुकाबला सीधा भाजपा से हो.
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कांग्रेस छोटे दलों की दावेदारी खारिज करने की कोशिश में
कांग्रेस के कई नेता सीधे तौर पर छोटे दलों की मौजूदगी को खारिज करते रहे हैं और उनका कहना है कि एमपी में मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही है. जाहिर तौर पर कांग्रेस यह नैरेटिव सेट करने की कोशिश में है कि इन सीटों पर मुकाबला उनके और बीजेपी के बीच ही है. अब यह कोशिश कितनी कामयाब होगी, ये तो चुनाव के नतीजे ही बताएंगे. फिलहाल चुनावी समर में सभी दल अपने-अपने दावे कर रहे हैं.
बता दें कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 17 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. प्रदेश में मतदान एक ही चरण में होंगे. सूबे की सत्ता पर अगले पांच साल तक किसका राज होगा? ये 3 दिसंबर को आने वाले नतीजों से तय हो जाएगा.
-भारत एक्सप्रेस
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