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Lucknow: दिवाली से पहले वेतन वृद्धि को लेकर यूपी-112 की महिलाकर्मियों का प्रदर्शन, अखिलेश ने योगी सरकार को घेरा

सपा प्रमुख ने कहा, महिलाओं को आरक्षण देने की बात करने वाले उन्हें हिरासत दे रहे हैं. कहीं नाम बदलने वालों ने ‘आरक्षण’ का नाम ‘हिरासत’ तो नहीं कर दिया है.

फाइल फोटो सोशल मीडिया

Lucknow: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के अर्जुनगंज में शहीदपथ के पास पुलिस कंट्रोल रूम-112 मुख्यालय में उस वक्त बड़ा बवाल खड़ा हो गया, जब करीब छह सौ से अधिक आउटसोर्सिंग महिला कर्मचारियों ने वेतन वृद्धि की मांग को लेकर सोमवार दोपहर अचानक काम बंद कर दिया. दीवाली से पहले महिला कर्मचारी अपनी मांग को धार देने के लिए सड़क पर उतर गईं, जिससे इससे तमाम जिलों की सेवाएं बाधित हो गईं. महिला कर्मचारी नारेबाजी करते हुए दफ्तर के बाहर धरने पर बैठ गईं. महिलाकर्मियों ने पुलिस पर धक्का-मुक्की और लाठीचार्ज की धमकी देने आरोप लगाया है और बताया कि सुबह जब अपनी बात रखने के लिए सीएम आवास की ओर जानें लगीं तो उनको जबरन रोका गया. वहीं धरना प्रदर्शन को देखते हुए पीएसी को तैनात कर दिया गया है. उधऱ, 112 की सेवाओं को संचालित करने के लिए कुछ महिला पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है.

नारी वंदन का सत्य रूप नारी बंधन

इस पूरे मामले में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने अधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर धरना प्रदर्शन की फोटो और वीडियो शेयर करते हुए योगी सरकार पर निशाना साधा है और कहा है, “अब सुनने में आया है कि ‘डायल 100’ का ठेका भी पोर्ट, एयरपोर्ट, रेल की तरह किसी ‘प्रिय पार्टनर’ को दिया जा रहा है. महिलाओं को आरक्षण देने की बात करने वाले उन्हें हिरासत दे रहे हैं.”

अखिलेश ने कहा, “कहीं नाम बदलने वालों ने ‘आरक्षण’ का नाम ‘हिरासत’ तो नहीं कर दिया है.” एक अन्य पोस्ट को शेयर करते हुए उन्होंने कहा, “ये ‘डॉयल 100’ के किसी एक ‘संवाद अधिकारी’ का ‘पीड़ा-पत्र’ नहीं है बल्कि हर एक का है. मुख्यमंत्री से मिलने से पहले ही, रात भर ठंड में बैठकर अपनी माँग करने वाली बहन-बेटियों को सुबह हिरासत में ले लिया गया. भाजपा का नारी वंदन का सत्य रूप ‘नारी बंधन’ है. शर्मनाक, निंदनीय, असहनीय!”

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कर्मचारियों ने बताई समस्या

आउटसोर्सिंग कर्मचारी हर्षिता कश्यप ने मीडिया क बताया कि सभी महिला कर्मी सात वर्ष से डायल-112 में 11 हजार रुपये वेतन में आउटसोर्सिंग पर नौकरी कर रही हैं. अधिकारियों द्वारा उनके वेतन में वृद्धि कर 18 हजार रुपये करने का दावा किया गया था, लेकिन सालों बाद भी वेतन में वृद्दि नहीं की गई. हर्षिता ने आरोप लगाया कि जब कर्मचारियों ने वेतन में वृद्धि की मांग की तो नौकरी से निकाले जाने की धमकी दी जाने लगी. जब सब्र का बांध टूट गया तो वेतन वृद्दि की मांग को लेकर सभी धरने पर बैठ गई हैं. महिला कर्मियों ने बताया कि वह सात साल से टेक महिंद्रा कंपनी के माध्यम से 112 मुख्यालय का काम देख रही थीं, लेकिन अब मुख्यालय ने कम्पनी बदल कर वी-विन कंपनी को काम सौंप दिया है. वह सात साल से काम कर रही थी जिसका मुख्यालय ने अब तक नियुक्ति पत्र नहीं दिया.

शौचालय तक बंद कर दिया गया

हर्षिता कश्यप ने आरोप लगाया कि सभी महिला कर्मचारी रात भर धरने पर बैठी रहीं. इस दौरान यूपी-112 के पुलिस कर्मी उन्हें शौचालय तक का प्रयोग नहीं करने दे रहे हैं. बाहर लगी लाइटें भी बंद करा दी गईं और महिलाएं रातभर अंधेरे में बैठी रहीं. धरना प्रदर्शन कर रही महिला कर्मचारियों का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें सड़क पर बैठी महिला कर्मचारियों को पुलिस बस में बैठाने के लिए महिला पुलिसकर्मी खींचती हुई दिखाई दे रही हैं. जबकि तमाम महिला कर्मचारी रोती हुई और विरोध दर्ज करती हुई दिखाई दे रही हैं.

पुलिस महिला कर्मी का बैकअप है हमारे पास

वहीं धरने पर बैठी महिला कर्मी पूजा सिंह ने आरोप लगाया कि धरना खत्म करवाने एक बड़े अधिकारी पहुंचे और कहा कि धरने पर बैठना है तो बैठो. हमारे पास महिला पुलिसकर्मियों का बैकअप है, इसमें कुछ नहीं होगा. महिलाकर्मी अंकिता ने बताया कि जब तक उनकी मांग नहीं मानी जाएगी. इसी तरह उनकी मांग जारी रहेगी.

-भारत एक्सप्रेस

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